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आइसना के अध्यक्ष त्रिपाठी ने केंद्रीय सूचना मंत्री को समाचार पत्रो की समस्याओं से अवगत कराया

उत्तराखंड: 21 मई 2025 बुधवार, नई दिल्ली में ऑल इंडिया स्माल न्यूजपेपर्स एसोसिएशन (आइसना)  के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार को विभिन्न मांगों पर ज्ञापन प्रेषित किया। जिसमें  देश  में पीआरजीआई पोर्टल के नए नियमों से छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों के उत्पादन व सीबीसी द्वारा विज्ञापन वितरण में भेदभाव तथा विज्ञापन दरो के पुनरीक्षण के संबंध में  ज्ञापन में मांगी रखी।

ऑल इंडिया स्माल न्यूजपेपर्स एसोसिएशन (आइसना)  कि ओर से  निम्नलिखित मुख्य मांगे:-

1. पीआरजीआई को पूर्ववत व्यवस्था लागू करने हेतु निर्देशित किया जाए जिसमें पीडीऍफ़ अपलोड को विकल्प बनाया जाए।
2. पीआरजीआई वह सीबीसी में लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण हो।
3. सीबीसी द्वारा विज्ञापन नीति का पारदर्शी पालन सुनिश्चित हो और छोटे व मझौले अखबारों को सम्मान अवसर मिले।
4. प्रसार जांच शुल्क समाप्त किया जाए या इसके युक्तिसंगत बनाया जाए।
5. भारतीय प्रेस परिषद की सभी सिफारिशे से तुरंत लागू की जाए।
6. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन सभी अखबारों को बिना भेद के विज्ञापन दिया जाए।
7. समाचार पत्रों को उद्योग का दर्जा दिया जाए।
8. सिंगल विंडो सिस्टम लागू किया जाए ताकि सभी प्रक्रिया एक ही पोर्टल पर संभव हो।
9. अखबारों के लिए सरकारी कागज पर सब्सिडी फिर से शुरू की जाए।
10. जनपदीय सूचना कार्यालय को सत्यापन का अधिकार देकर छोटे अखबारों को राजधानी जाने की मजबूरी से मुक्त किया जाए।
अत: आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त तथ्यों पर गंभीरता पूर्ण विचार करते हुए छोटे एवं मझौले समाचार पत्रों के हिट में ठोस निर्णय लेने की कृपा करें।

इस दौरान ऑल इंडिया न्यूजपेपर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी ने लघु समाचार पत्रों की चिंतन करते हुए केंद्रीय मंत्री सूचना एवं प्रसारण को ज्ञापन में  देश भर में संचालित छोटे एवं मझौल समाचार पत्रों को लेकर केंद्र सरकार के अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं द्वारा जो नई व्यवस्था लागू की जा रही है वह न केवल व्यावहारिक कठिनाइयां उत्पन्न कर रही है बल्कि इन्हें छोटे समाचार पत्रों के उत्पीड़न का मध्य भी बनाया जा रहा है।

आइसना के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव शंकर त्रिपाठी  ने बताया कि पीआरजीआई पोर्टल की अव्यावहारिक एवं तकनीकी रूप से त्रुटिपूर्ण व्यवस्था: पीआरजीआई द्वारा हाल ही में या निर्देशित किया गया है कि समाचार पत्रों व पत्रिकाओं की फोटो खींचकर पोर्टल पर अपलोड किया जाए। या प्रणाली ना तो व्यावहारिक है और ना ही उद्देश्य की पूर्ति करती है क्योंकि फोटो से समाचार पद नहीं जा सकता यदि इसकी जगह PDF फाइल अपलोड की अनुभूति होती तो संपूर्ण अखबार की सामग्री स्पष्ट व प्रमाणित रूप से प्रस्तुत की जा सकती थी।

प्रकाशको पर अनावश्यक आर्थिक एवं अनावश्यक आर्थिक एवं प्रशासनिक बोझ :अखबारों को पाइप के कार्यालय में जाकर स्वयं जमा करना अनिवार्य किया गया है जो केवल राजधानी नगरों में स्थित है जनपद के स्तर पर पहले से ही सूचना कार्यालय में अखबार जमा होते हैं जिन्हें ही आधार बनाकर सत्यापन कराया जाना चाहिए या वह साध्य कार्य छोटा प्रकाशयों के लिए अत्यंत कठिन है।

 सीबीसी द्वारा विज्ञापन आवंटित में भेदभाव: वर्तमान में सीबीसी द्वारा जारी की जा रही विज्ञापन नीति का अनुपालन स्वयं सीबीसी नहीं कर रहा है और बड़े मीडिया घरानो को प्राथमिकता दी जा रही है। जबकि छोटे वह मझौले अखबारों को ना निश्चित अनुपात में विज्ञापन नहीं दिया जा रहा है राष्ट्रीय पर्व पर भी उन्हें अनदेखा किया जा रहा है कलर और ब्लैक एंड व्हाइट के नाम पर भी भेदभाव किया जाता है। जिसे अखबारों को अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।

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