उत्तराखंड: 17 अगस्त 2024 ,देहरादून। कोलकाता के एक अस्पताल में रेजिडेंट महिला डॉक्टर के साथ हुई रेप और हत्या की घटना जिसमें दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गई उसे लेकर न सिर्फ देश भर के डॉक्टरों का गुस्सा चरम पर है अपितु आम जनमानस में भी भारी आक्रोश है। वही इस दौरान राजधानी दून के जिला मेडिकल अस्पताल और कोरोनेशन अस्पताल सहित टिहरी के बुराड़ी जिला अस्पताल व हरिद्वार के जिला अस्पताल से लेकर नैनीताल, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी, चमोली, उत्तरकाशी तक कोई जिला अस्पताल अछूता नहीं रहा व सभी जगह डॉक्टर व नर्साे ने हड़ताल रखी तथा ओपीडी से लेकर इमरजेंसी सेवाएं तक ठप रही। जिसके कारण हजारों की संख्या में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे लोगों को बिना इलाज के ही घर वापस लौटना पड़ा।
वही इस दौरान आई एम एम के आह्वान पर आज देशभर में डॉक्टरों ने इस घटना के विरोध में स्वास्थ्य सेवाएं ठप रखी और अस्पतालों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को कड़ाई से लागू करने की मांग करते हुए अस्पतालों की एयरपोर्टों की तरह सुरक्षा व्यवस्था करने की मांग की गई। डॉक्टरों की इस हड़ताल से हालांकि मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन मरीजों से लेकर आम आदमी तक ने डॉक्टरों की हड़ताल को वाजिब ठहराते हुए कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा भी जरूरी है क्योंकि वह अत्यंत जटिल स्थितियों में भी असाधारण रूप से सेवाएं प्रदान करते हैं।
वही जिसमें कोलकाता की इस घटना को लेकर बीते कई दिनों से तमाम प्रदेशों में अलग—अलग तरीके से डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन जारी हैं लेकिन आज आई एम एम ने सख्त रूख अपनाते हुए और डॉक्टरों के लिए सुरक्षा व्यवस्था प्रोटोकॉल के अनुसार मुहिया कराने की मांग पर पूरे देश में सभी छोटे—बड़े अस्पतालों में ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं को बंद किए जाने से हाहाकार की स्थिति पैदा हो गई। उत्तराखंड में भी इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिला है।
इस दौरान कई अस्पतालों की महिला डॉक्टरों और नसों से मीडिया ने बात की तो वह अत्यंत ही भावुक दिखी उनका साफ कहना है कि हम लोग दिन—रात अत्यंत ही दुर्गम स्थलों से लेकर जटिल परिस्थितियों में मानव सेवा करते हैं, हमने मानव सेवा की जो शपथ ली है और सेवाएं देते हैं उसमें हम दिन रात कुछ नहीं देखते लेकिन जब एक डॉक्टर के साथ कोलकाता जैसी घटना होती है तो वह अत्यंत ही पीड़ा दायक व दिल को झकझोर देती है ऐसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए उनका कहना है कि मेडिकल प्रोटेक्शन कानून है मगर उसका पालन नहीं होता है। महिला डॉक्टरों की सुरक्षा जब तक सुनिश्चित नहीं होगी वह काम नहीं करेगी।