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जिला प्रशासन देहरादून के प्रयासों से 5 वर्षीय बच्चे को परिवार मिल गया!

देहरादून/उत्तराखण्ड: 24 Nov.–2023: शुक्रवार को  5 वर्षीय बालक जो 8 मई, 2023 को रूड़की में पाया गया था, वह बोलने या अपना नाम भी याद करने में असमर्थ था, को राजकीय शिशु निकेतन भेजा गया, जहां उसे उसे काउंसलर से परामर्श मिला और शिशु निकेतन के कर्मचारियों और परामर्शदाताओं की सहायता से, उसने धीरे-धीरे अन्य बच्चों के साथ घुलना मिलना और अपने बारे में जानकारी प्रदान करना शुरू कर दिया। जिला प्रशासन देहरादून के प्रयासों से अरशद , जो पिछले छह महीने से राजकीय शिशु निकेतन में रह रहा था, आखिरकार आज अपने परिवार से मिल गया।

वही उसने ने खुलासा किया कि उसका नाम अरशद है, उसके भाई का नाम समीर है और उसकी बहन का नाम सोफिया है। उसने बताया कि उसके पिता नहीं हैं और उसके दादा का नाम अनीश है और वह शादियों में खाना बनाने का काम करते थे । उसने यह भी बताया कि वह इसी शहर में कही का रहने वाला और उनका एक घर नाले के किनारे है। संपूर्ण प्रयासों के बावजूद, जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में अखबार की विज्ञप्ति के माध्यम से साझा किया गया, बालक के परिवार का पता लगाना चुनौतीपूर्ण साबित हुआ।

वही इस 23 नवंबर, 2023 को स्थिति बदल गई, जिलाधिकारी के निर्देशों के अनुपालन में  जिला प्रोबेशन अधिकारी श्रीमती मीना बिष्ट ने बच्चों के अधिकारों के कार्य करने वाली स्थानीय वकील रिजवान अली से सहायता मांगी। रिज़वान अली एडवोकेट एडवोकेट लतिका संस्था के साथ मिलकर दिव्यांग बच्चो के अधिकारों के लिए काम करते है उन्होंने तेजी से अपना नेटवर्क तैयार किया और गैर सरकारी संगठनों, कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित संपर्कों की एक विस्तृत श्रृंखला में बालक के विवरण और फोटो का प्रसार वाट्सएप्प के माध्यम से किया ।

इसके परिणामस्वरूप अरशद के परिवार को अगले ही दिन, 24 नवंबर, 2023 को पता चल गया।  24 नवंबर, 2023 को बालक का परिवार एडवोकेट रिज़वान अली के पास पहुंचा और व्हाट्सएप पर प्रसारित जानकारी के माध्यम से अरशद की पहचान की पुष्टि की। इस सफलता से अबालक और उसके परिवार के बीच एक दिल छू लेने वाला पुनर्मिलन हुआ, जो बालक के दस्तावेजों और पहचान की सावधानीपूर्वक सत्यापन प्रक्रिया के बाद बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) व ज़िला प्रशाशन देहरादून के समक्ष आयोजित कर बालक को परिवार जनों के सुपुर्द  किया गया। अरशद और उनके परिवार के बीच का आनंदमय पुनर्मिलन सहयोगात्मक प्रयासों और दृढ़ संकल्प का एक प्रमाण है, जो परिवारजनों व इसमें  शामिल सभी पक्षों के लिए अपार खुशी लेकर आया है।

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