उत्तराखण्डः11 सितंबर 2024, बुद्धवार को देहरादून ,उत्तराखण्ड में भाजपा ने कानून व्यवस्था को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत समेत तमाम कांग्रेसियों के आरोपों को बेबुनियाद एवं राजनीति से प्रेरित बताया है। उत्तराखण्ड प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस को आइना दिखाते हुए कहा, इनकी सरकार का इतिहास तो गैंगवार, अफसरों पर हमले और महिला अपराधों की काली स्याही से लिखा हुआ है। कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष की लगातार होने वाली बयानबाजियों को उन्होंने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। जबकि आज राज्य में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में कानून का राज है।
अब तक जितनी भी अपराध की घटनाएं सामने आई हैं उनपर तत्काल कठोरतम कार्यवाही की गई हैं। कांग्रेस और उनके सहयोगियों के अतिरिक्त कोई भी नही कह सकता है कि आरोपियों को लेकर पक्षपात किया गया हो, या कार्यवाही में जानबूझकर देरी की गई हो। लगभग सभी दोषी कानून के शिकंजे में हैं और न्यायिक प्रक्रिया से अपनी सजा का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस के नेता झूठ, अफवाह और भ्रम फैलाने की अपनी राष्ट्रीय नीति का उत्तराखंड में भी अमल कर रहे हैं। उन्होंने हरदा को कानून व्यवस्था को लेकर आइना दिखाया कि बतौर मुख्यमंत्री उनका कार्यकाल यूपी स्टाइल में हुई गैंगवार, अफसरों पर हमले और महिला अपराधों जैसी कई घटनाओं से पूरा दागदार रहा है।
वही जिसमें राज्यवासियों की याददाश्त में आज भी वह खौफनाक माहौल ताजा है जब देवभूमि में गैंगस्टर, खनन माफियाओं और महिला अपराधियों का राज चलता था। इनके तत्कालीन गृहमंत्री प्रीतम सिंह सदन में अपनी अनदेखी का रोना रोते रहते थे और मैदान और पहाड़ में क्राइम के भेड़िए खुलेआम घूमते थे। शांत पहाड़ों में अपराध का ग्राफ इतना बड़ा कि अल्मोड़ा जैसे जिले में ट्रिपल मर्डर हुए, रुड़की में बम विस्फोट में एनआईए को आना पड़ा, रुड़की जेल के सामने गैंगवार में हुई तीन हत्या के छह महीने बाद भी मुख्य अभियुक्त फरार रहा, रामनगर में आत्मदाह के अभियुक्त को पुलिस सुरक्षा देती रही।
उन्होंने कटाक्ष किया कि कांग्रेस सरकार में आम आदमी तो दूर, पुलिस के बड़े बड़े अधिकारी भी सुरक्षित नहीं थे। रुड़की में ही आईपीएस प्रहलाद मीणा पर खनन माफियाओं ने फायरिंग की थी, लेकिन कुछ कार्यवाही नही हुई। उधमसिंहनगर में अवैध खनन के कारोबार को लेकर छात्र संघ अध्यक्ष प्रताप बिष्ट की हत्या कर दी गई। रामनगर में छात्र नेता आत्मदाह कांड हुआ तो मुख्य अभियुक्त संजय नेगी की गिरफ्तारी के बजाय उसे पुलिस सुरक्षा मुहैया कराती रही।
इस दौरान हल्द्वानी में नाबालिग लाड़ली की हत्या में मुकद्दमा दर्ज करने से लेकर गिरफ्तारी तक में बेहद देरी की गई। हत्या अभियुक्तों की सजा माफ कर जेल से रिहा किए गए और पुलिस चौकी में आईपीएस के सिपाही भाई की हत्या कर अभियुक्त फरार रहा। इनकी सरकार में शहरों में एटीएम लुटते रहे, खनन के कारोबार में मर्डर होते रहे। हद तो तब हो गई जब हल्द्वानी जेल में बंद एक बदमाश ने पेशी के दौरान बुलंदशहर में डकैती डालने की घटना की अंजाम दे दिया था।
जेल के मुख्य दरवाजों पर हुई गैंगवार में तीन हत्या हुई और मुख्य आरोपी फरार रहा। उन्होंने हरदा समेत तमाम कांग्रेस नेताओं से कानून व्यवस्था को लेकर संभल कर बोलने की सलाह दी। साथ ही भाजपा सरकारों से सीखने की अपील करते हुए कहा, हम अपराध को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते हैं। जिसमें अपना पराए को किनारे रखकर, निष्पक्ष कार्यवाही कर कड़ाई से कानून का पालन कराया जाता है।