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नेत्र विभाग का सचल वाहन कर्मी सड़क पर नही, अस्पताल में ज्यादा मौज में है !

नेत्र चिकित्सालय का सचल वाहन कर्मी मरीजों की आंखों में कैसे धूल झोंक रहा है।

देहरादून/उत्तराखण्ड: 12 JULY .. 2023: सूत्रो के हवाले से मिली खबर के अनुसार देहरादून स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय कोरोनेशन जिला अस्पताल एवं गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय जिला देहरादून अस्पताल में एक सचल वाहन स्वस्थ कर्मी जिसकी  इससे पहले मूल तैनाती हरिद्वार में थी।वही सूत्र बताते है कि यह सचल वाहन कर्मी सीएमओ कार्यालय देहरादून सेेेे संबंध है। लेकिन यहां कर्मी इस गांधी नेत्र अस्पताल में पिछले 3 वर्षों से कार्यरत चल रहा है। बताया जा रहा है इस कर्मी की ड्यूटी 15 दिनों के लिए सचल वहान में आंखों की जांच हेतु साथ ही जिलो में लगने वाले स्वास्थ्य शिविर में इनकी ड्यूटी लगाई जाती है। जिसके लिए यह नियुक्त भी है।

यही नहीं चारधाम यात्रा सीजन में भी सचल मोबाइल के माध्यम से नेत्रों की जांच हेतु आरटीओ की टीम के साथ लग कर रोड पर कैंप के द्वारा आंखों की जांच हेतु जिसमें ड्राइवरों की आंखों की जांच व अन्य लोगो की आंखो रोशनी आदि की जांच हेतु एम नेत्र कर्मी के रूप में मौजूद रहना पड़ता है। साथ सूत्रो ने बताया कि यह सचल वाहन कर्मी अधिकतम गांधी नेत्र चिकित्सालय देहरादून में मरीजो की आंखों संबंधित जांच के लिए एक नेत्र विभाग के कमरे में तैनात है। जिसमें जब कोई डॉक्टर किसी मरीज को आंखों की जांच करने नजर के चश्मे हेतु लेंस लगाने के लिए भेजा जाता है तो वह मरीज इस सचल वाहन कर्मी के पास अपने नेत्र जांच कराने जाता है।

जिस व्यक्ति/मरीज को यह कर्मी चश्मेे का नंबर देता है, उस व्यक्ति से स्वयं चश्मा बनाने के लिए उसे मजबूर कर एवं बाहर की दुकानों पर ना भेजकर अपना स्तर से ही चश्मा बनाकर देता है। और उनसे मनमानी मोटी रकम वसूल ता है। यही नहीं सूत्र बताते है कि इस नेत्र अस्पताल में आंखो की जांच कराने बेरोजगार युवक एवं युवतियां या फिर कॉलेज के स्टूडेंट अपने मेडिकल संबंधित आंखों की जांच करने डॉक्टर के बाद इसी व्यक्ति के पास आते हैं तो यह व्यक्ति उनसे भी कुछ ना .कुछ लिए भी गैर आंखों की जांच का सही प्रमाण नहीं देता। अगर इसकी मुट्ठी गर्म कर दी जाए तो यह बिना देखे ही आंखों की जांच का प्रमाण दे देता है।

सूत्रो को कुछ लोगों /मरीजो ने अपना बिना नाम बताएं दबी जुबान से इस व्यक्ति के बारे में कहा है कि यह व्यक्ति बिना पैसा लिए कोई भी काम करने को सीधे.-सीधे राजी नहीं होता। वही इस गांधी नेत्र चिकित्सालय में सचल वाहन कर्मी बेखौफ होकर मरीजों से आंखों की जांच वह उनके लेंस लगाने हेतु साथ ही चश्मे भी अपनी तरफ से बना कर देता है जिसके हर किसी से यह बिना पैसे नहीं जाने देता। बता दे कि गांधी नेत्र अस्पताल में रोज करीब आंखो से संबंधित कम से कम 50 से -70 मरीज आते है।

अब जरा सोचिए कितने लोगो ऐसे होते है जिसमें चश्मे का नंबर मिलता है। बता दे कि आज कल हर कोई मोबाईल में अपनी आंखे गढ़ाये हर वक्त रहता है। जिससे आंखो की पेरशानियो बढ़ रही है। और इस जैसे कर्मीयों की जेब भी इस तरह भर रही होगी। जबकि इस कर्मी के संबंध में हमारे संवादाता ने जिला अस्पताल कोरोनेशन व गांधी नेत्र अस्पताल की देहरादून एमएस एवं नोडल अधिकारी से फोन पर जानकारी मांगी तो उन्होने कोई स्पष्ट उत्तर नही दिया। और अपने अस्पताल के किसी प्रासानिक अधिकारी पर टाल दिया।

वही इस खबर के बाद फिर से इस संबंध में पुष्टि हेतु संबंधित चिकित्सालय के जिम्मेवार अधिकारी से मिल कर स्पष्ट करने की कोशिश करेगे। बता दे कि हमारा किसी भी कर्मी से कोई व्यक्ति गत भेद भाव नही है, यह सिर्फ जन हित में है।

आपको बता दे कि हम अभी इस खबर की पुष्टि नही करते लेकिन फोटो व सूत्र झूठ नही बोलते है। हमारे संवाददाता ने इस संबंध में अस्पताल की सीएमएस से इस व्यक्ति के यहां की नियुक्ति एवं पद हेतु के संबंध में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने संबंधित जिला अस्पताल के बाबू पर डाल दी कि इस व्यक्ति की जानकारी उन्हें ज्यादा पता होगी यही नहीं इस चिकित्सालय में नोडल अधिकारी डॉ से भी हमने कुछ पूछने इस व्यक्ति के संबंध में पूछने की कोशिश की लेकिन उन्होंने भी कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया।
इन सब से ऐसा महसूस हो रहा है कि इसके भ्रष्टाचार की भूमि अस्पताल के अधिकारी भी शामिल है या उनके संज्ञान में होते हुए भी अंजान बने हुए क्यों हैं। खुल्लम-खुल्ला लोगों को लूट रहा है फिर भी कोई इस पर क्यों नहीं कार्यवाही करता।

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