उत्तराखंडत्योहार/दिवसदेहरादून

जीवन में वासंती उल्लास लाता है यह महापर्व : शैलदीदी

उत्तराखण्ड : 02 फरवरी 2025 ,हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में वसंतोत्सव हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने विश्वभर के गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएँ दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने भावभरी पुष्पांजलि अर्पित कीं। इस दौरान कई आडियो बुक, प्रज्ञागीत सहित अनेक साहित्यों का विमोचन किया गया।

वसंतोत्सव के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि यह समय बदलाव की बयार लेकर आया है। सम्पूर्ण समाज, देश में बदलाव देखने को मिल रहा है। हम सभी के जीवन में भी बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि युगऋषि पूज्य पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने समाज में क्रांति लाने के लिए हम बदलेंगे, युग बदलेगा का जो नारा दिया है, वह अब दिखने लगा है। हम सभी को इसे आत्मसात करना चाहिए। गायत्री परिवार के अभिभावक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि पूज्य गुरुदेव के सत्साहित्य ने करोड़ों लोगों के जीवन में काफी बदलाव किया है, इसका विस्तार करना समय की मांग है। रुग्ण (कमजोर) परिवार, समाज को इससे संजीवनी मिलेगी।

संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि पूज्य गुुरुदेव को उनके सद्गुरु ने वर्ष १९२६ की वसंत पंचमी के दिन ही दर्शन दिया और भविष्य के लिए मार्गदर्शन दिया। जब भक्त प्रहलाद, स्वामी विवेकानंद, महाराणा प्रताप सहित अनेकानेक के जीवन में वसंत आया, तब उनके जीवन में बदलाव आया। उन्होंने कहा कि यह समय आत्मनिर्माण, समाज सुधार और हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का है। उन्होंने कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार का उद्देश्य केवल व्यक्तियों का उद्धार नहीं, बल्कि समग्र समाज और राष्ट्र का उत्थान है।

इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने प्रज्ञा अभियान (पाक्षिक समाचार पत्र) का म.प्र. संस्करण तथा चेतना की शिखर यात्रा, वंदनीया माताजी की जीवन दर्शन सहित अनेक हिन्दी व मराठी पुस्तकों का आडियोबुक व प्रज्ञागीत सहित अन्य का विमोचन किया। इस दौरान देश विदेश से आये हजारों साधक उपस्थित रहे।
विभिन्न संस्कार निःशुल्क सम्पन्न

गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने सैकड़ों लोगों को गुरुदीक्षा दी, तो वहीं देश के विभिन्न राज्यों से आये बटुकों ने यज्ञोपवीत संस्कार कराये। नामकरण, मुण्डन, विद्यारंभ, विवाह सहित कई संस्कार बड़ी संख्या में सम्पन्न हुए। समस्त संस्कार निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। सायं दीपमहायज्ञ में पूज्य आचार्यश्री के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के संकल्प लिये गये।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button