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वार्ड रिस्पना में रानी बनी महारानी..? आखिर ऐसा क्यों?

उत्तराखण्डः 16- Jan. 2025, ब्रहस्पतिवार को देहरादून स्थित  नगर निगम चुनाव की तिथि जैसे.जैसे नजदीक आ रही है वही सभी वार्डो में प्रत्यक्षों ने अपनी ताकत झौकना शुरू कर दी है।  देहरादून नगर निगम चुनाव में पार्षद प्रत्यशी मीडिया कर्मियों को एक बाइट/इंटव्यू के भी चक्कर कटवा रहे हैं। साथ ही पार्षद प्रत्यशीयो ने जनसंपर्क तेज करते हुए जनता के साथ झूठे वादे और प्रलोभन की झड़ी लगा दी है। एक.एक वोट के खातिर नेता किसी के भी पैर छुने व मांफी मांगेने तक पीछे नहीं है हट रहे हैं ।वही इस दौरान  सोशल मीडियों के जरिए भी वोटरों को साधने का प्रयास जारी है! वही इस बार के निकाय चुनाव में जानकारो की माने तो दारू मुर्गा नही, सोशल मीडिया सही, प्रत्याशियों की शोशेबाजी की बढ़ी गतिविधि?

वही बात करें अगर करणपुर से जुड़ा रिस्पना वार्ड नंबर 14 में भाजपा की दुसरी बार वर्तमान पार्षद श्रीमती रानी कौर है। इसे पहले उनके पति सरदार जीवन सिंह भाजपा से दो बार पार्षद वार्ड नंबर 14 में रहे। उनके स्वर्गवास होने के बाद उनकी पत्नी श्रीमती रानी कौर को भाजपा ने विश्वास जताया और वह पार्षद बन गई। इसके बाद इस बार भी 2024 25 के चुनाव में भाजपा ने श्रीमती रानी कौर फिर से भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रही है। जिसको लेकर क्षेत्र की विकास के संबंध में जनता कई सवाल पूछ रही है। पीछले 15 सालो से रिस्पना वार्ड में कितना विकास हुआ और आगे कैसो विकास होगा जिसका जवाब देने से रानी साहिबा क्यों कतरा रही है।

ऐसा क्या? जनता के सामने वह महारानी बनकर रहना चाहती है। कोई सवाल जवाब उसके आगे ना करें यही चाहती है, आखिर ऐसा क्यों ? रानी महारानी के रूप में दिखाई दे रही है। वही मीडिया कर्मीयो ने जब उनसे संपर्क करने की कोशिश की उनके पुत्र इस चुनाव को देख रहे है उन्होने ने मीडिया को टाल मटोल कर दिया। इससे साफ  जाहिर होता है कि रानी मीडिया के लिए महारानी बन गई है। क्षेत्रिया विकास व जनता से जुड़े सीधे सवालो के जवाब देने मीडिया के सामने नही आ रही है। ऐसा क्यो? यह भी एक बड़ा सलाल बन गया हैं। जबकि यही नगर निगम चुनाव में मौका है क्षेत्र के विकास पर सवाल पूछने का।

इस नगर निगम चुनाव में पार्षद प्रत्यशी जो कल तक अजनबी थे, आज मीत बन गए है!टिकट पाने में जो धनराशी खर्च की है उसे पहले जीतकर उनको कमाएंगे, कम पड़ गए तो तुमसे वसूलेंगे! टैक्स पर टैक्स तुमपर थोपेंगे, वे कुर्सी से चिपक जायेंगे। तुम पर हर रोज़ रोब जमाएंगे, तुम्हारे ही वोटो से बनी कुर्सी को अपने बाप.दादा की बताएंगे। हर कार्यक्रम में अब प्रत्याशी पहुंचकर वोटरों को लुभाने के प्रयास में लगे हैं। सभी प्रत्यक्षीयो ने तरीके खोज रहे हैं!मतदाताओं के सामने दंडवत हो रहे नेताजी, वोट के लिए चरण स्पर्श प्रणाम करते दिख रहे दावेदार. उम्मीदवार अब तरह-तरह के प्रलोभन देकर अपनी चुनावी नैया पार करने की कवायद में जी जान से जुटे हैं।एक वोट के खातिर नेता जी आज गली.-गली भटक रहे हैं जो गाली उसने अपने जीवन भर में बचपन से नहीं देखी आज उसे गलियों में भी घुस रहे हैं। कोई वोटरों को दारू मुर्गा की पार्टी देकर लुभा रहा है। तो कोई अपनी वर्षो पुरानी दोस्ती का हवाला दे रहा है। लेकिन यह वोटर परिक्रमा क्या रंग लाएगी वह तो ईविम खुलने के बाद ही पता चलेगी।

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