नई दिल्ली/उत्तराखण्ड : 20 सितम्बर 2024 ,। अब देश की राजधानी दिल्ली में स्थिति मंदिरों को वक्फ बोर्ड की हड़पने वाली नीति ने भी नहीं बख्शा है। देशभर में वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस चल रही है। जेपीसी में इस पर चर्चा चल रही है। तमाम मांगों और दावों के बीच दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की एक रिपोर्ट सुर्खियों में आ गई है। साल 2019 में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की थी। दिल्ली के छह मंदिरों पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा ठोंका है। मंदिर से जुड़े लोगों का दावा है कि ये मंदिर वक्फ एक्ट बनने से पहले ही बना हुआ था। अब सवाल ये है कि किसका दावा सही है? जिसके पास जरूरी और सही दस्तावेज होंगे, उसका दावा ही सही माना जाएगा। लेकिन सवाल ये भी है कि क्या वक्फ बोर्ड अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रहा है।
वही इस दौरान अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। 2019 में अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दिल्ली के कई मंदिर वक्फ की जमीन पर बने हुए हैं। 2019 की इस रिपोर्ट को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट करार दिया था और द लीगल स्टेटस ऑफ रिलिजियस स्पेसेज अराउंड वेस्ट दिल्ली नाम दिया था। इस रिपोर्ट के 159 पेज पर दावा है कि दिल्ली के बीके दत्त कॉलोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर वक्फ बोर्ड की जमीन पर बना है। ये हाल तब है जब मंदिर का निर्माण 14 दिसंबर 1961 में हुआ था। मंदिर का शिलान्यास खुद भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री ने अपने हाथों से किया था। यानी भारत में वक्फ एक्ट आने से 34 साल पहले मंदिर का निर्माण हुआ था।
इसी तरह दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट के पेज 35 पर दावा किया गया है कि दिल्ली के मंगलापुरी स्थित प्राचीन शिव मंदिर और शमशान घाट भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनाए गए हैं। इसी रिपोर्ट में पेज 36 में दावा किया गया कि मंगलापुरी स्थित शिव शक्ति काली माता मंदिर का निर्माण भी वक्फ की जमीन पर हुआ है। जमीन पर दावा हिंदुओं का नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड का है। रिपोर्ट को फैक्ट फाइंडिग करार दिया गया। लेकिन सच ये है कि ये मंदिर भारत में वक्फ एक्ट आने से कई दशक पहले बन चुके थे। दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की इस रिपोर्ट में दिल्ली के कई सारे मंदिरों पर दावा किया गया है। कहा गया कि वक्फ की जमीन पर ये मंदिर बने हैं।