उत्तराखण्डः 27 अगस्त 2024, मंगलवार को भाद्रपद का माह चल रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से अमावस्या तक के समय को पितृपक्ष कहा जाता है। आइए जानते हैं इस साल पितृपक्ष कब है, श्राद्ध की तिथि कब है। पितृपक्ष कब से है शुरु इस साल पितृपक्ष की शुरुआत आगामी 17 सितंबर 2024 से होने जा रहा है और इसका समापन 2 अक्टूबर को होगा। पितृपक्ष के दौरान पितरों को स्मरण किया जाता, उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करना और तर्पण करने की मान्यता है। धार्मिक मान्याता के अनुसार, पितृपक्ष के दौरान सभी शुभ कार्य बंद किए जाते हैं। इस दौरान पितरों को तृप्त और उनकी आत्मा को शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी जातक की कुंडली में पितृदोष है, तो पितृपक्ष के दौरान इस दोष से छुटकारा पाने के लिए सबसे बढ़िया समय होता है।
आइए जानते हैं पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां
-प्रतिपदा का श्राद्ध – 18 सितंबर
-द्वितीया का श्राद्ध – 19 सितंबर
-तृतीया का श्राद्ध – 20 सितंबर
-चतुर्थी का श्राद्ध – 21 सितंबर
-महा भरणी – 21 सितंबर
-पंचमी का श्राद्ध – 22 सितंबर
-षष्ठी का श्राद्ध – 23 सितंबर
-सप्तमी का श्राद्ध – 23 सितंबर
-अष्टमी का श्राद्ध – 24 सितंबर
-नवमी का श्राद्ध – 25 सितंबर
-दशमी का श्राद्ध – 26 सितंबर
-एकादशी का श्राद्ध – 27 सितंबर
-द्वादशी का श्राद्ध – 29 सितंबर
-मघा श्राद्ध – 29 सितंबर
-त्रयोदशी का श्राद्ध – 30 सितंबर
-चतुर्दशी का श्राद्ध – 1 अक्टूबर
-सर्वपितृ अमावस्या – 2 अक्टूबर
श्राद्ध का महत्व जानें…, श्राद्ध के कार्य करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और वह अपने वशंजों को आशीर्वाद बरसाते हैं। मान्यता है कि पितृ का श्राद्ध करने से घर में सुख, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। जो लोग पितरों का श्राद्ध नहीं करते हैं, तो उन्हें पितृ दोष लग सकता है। जिससे व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे – बीमारियां, आर्थिक तौर पर भारी नुकसान और परिवारिक कलह होने लगता है। वहीं, श्राद्ध के कार्य करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है। पितृपक्ष में विशेष पूजा, हवन, तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।