नई दिल्ली/उत्तराखण्ड : 22 अगस्त 2024,ब्रहस्पतिवार को प्राप्त जानकारी के अनुसार कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा अपनाई गई समयसीमा और प्रक्रियाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने घटनाओं के क्रम, खासकर मामले को अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज करने में देरी और पोस्टमार्टम के समय पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति का राजनीतिकरण न करने का आग्रह किया और कहा कि कानून अपना काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे डॉक्टरों के कल्याण और सुरक्षा के बारे में चिंतित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हिंसा की किसी भी आशंका को रोक सकें। इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सीआईएसएफ को तैनात किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि विरोध प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी बलपूर्वक कदम न उठाया जाए और न ही कोई प्रतिकूल कार्रवाई की जाए।सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक पोर्टल खोलने का निर्देश दिया है, जहां हितधारक समिति के समक्ष अपने सुझाव प्रस्तुत कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को बाधित न करने का निर्देश दिया और राज्य को आरजी कर घटना के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।
बलात्कार-हत्या मामले में उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किया कि घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने में 14 घंटे की देरी का क्या कारण है?उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से सवाल किए कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य के संपर्क में कौन था, उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराने में देरी क्यों की, इसका उद्देश्य क्या था। उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय कार्यबल को चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार करते समय सभी हितधारकों की बात सुनने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के लिए सीबीआई कोर्ट को निर्देश दिए हैं।