चुनाव बाद भी यात्रा मोड में क्यों हैं राहुल गांधी, क्या कांग्रेस को मिल गया चुनावी सफलता का कोई मंत्र?
नई दिल्ली। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के 99 सीटें क्या आई, उसके वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के कार्यशैली में बड़ा बदलाव साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। विपक्ष के नेता के तौर पर पदभार संभालने के बाद राहुल गांधी की जमीनी सक्रियता लगातार जारी है। अक्सर ऐसा होता है कि बड़े चुनाव के बाद नेता कुछ दिनों के लिए ब्रेक पर चले जाते हैं। लेकिन राहुल गांधी के साथ इस बार ऐसा दिखाई नहीं दे रहा है। संसद के उद्घाटन सत्र में ही उन्होंने बता दिया कि इस बार उनकी भूमिका अलग रहने वाली है। जो कि कहीं ना कहीं भाजपा को टेंशन में ला रही होगी।सबसे बड़ी बात यह है कि सोशल मीडिया और दिल्ली में सक्रियता के अलावा राहुल गांधी दूरदराज के इलाकों में भी जा रहे हैं। राहुल गांधी हाथरस में पीड़ितों से मुलाकात करने पहुंच गए जहां एक भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट की एक समूह से मुलाकात कर ली। उनकी समस्याओं को जाना और इस बहाने सरकार पर भी जबरदस्त तरीके से निशाना साधा। राहुल गांधी गुजरात दौरे पर भी गए जहां उन्होंने पार्टी कार्यक्रम के अलावा राजकोट अग्नि त्रासदी में मारे गए लोगों के परिवारों से मुलाकात की। इतना ही नहीं राहुल गांधी असम और मणिपुर भी पहुंच गए। असम में उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की जबकि मणिपुर में राहुल ने राहत शिविरों का दौरा किया और केंद्र की मोदी सरकार से कई सवाल भी पूछे। राहुल लगातार प्रधानमंत्री से मणिपुर का दौरा करने की अपील कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि वह राज्य में हिंसा भड़कने के बाद तीसरी बार पहुंचे थे लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वह अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली भी पहुंचे जहां उन्होंने आम लोगों से मुलाकात की। राहुल और कांग्रेस को लग रहा है कि जनीन पर संघर्ष के साथ ही उनकी पार्टी एर बार फिर उभर सकती है। राहुल गांधी की जमीनी सक्रियता को देखें तो ऐसा लगता है 99 सीटों से कांग्रेस को एक संजीवनी बूटी मिली है जिसकी बदौलत पार्टी एक बार फिर से उभरने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा राहुल गांधी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि जो लोग हमें खत्म करने की बात कर रहे हैं वह कमजोर हो चुके हैं। हमें जमीन पर मेहनत करनी चाहिए और पार्टी एक बार फिर से मजबूती के साथ उभर सकती है। राहुल गांधी अपने भीतर के जुझारूपन को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बना रहे। यही कारण है कि गुजरात जैसे राज्य का दौरा करने के दौरान वह दावा कर रहे हैं कि हम यहां भी भाजपा को हराने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा और भारत छोड़ो न्याय यात्रा की बदौलत देश की जमीनी हकीकत को समझा। इन दोनों यात्राओं ने उन्हें जमीन का नेता बनने में अहम भूमिका निभाई है। साथ ही साथ यह भी दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी को अब लगने लगा है कि एकजूटता और जमीनी लड़ाई के आधार पर भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है। इसका बड़ा कारण उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे हैं। राहुल गांधी ही थे जिन्होंने लगातार इंडिया गठबंधन की वकालत की। मन मुताबिक सीटें नहीं मिलने के बावजूद भी उन्होंने गठबंधन को बनाए रखना जरूरी समझा।