हिमाचल प्रदेश

बढ़ेगा हरियाली क्षेत्र, पौधरोपण के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट मंजूर

शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण योजना में पौधरोपण के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है। इस राशि का उद्देश्य राज्य में हरित क्षेत्र का विस्तार और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करना है। इस परियोजना के अंतर्गत 50 करोड़ रुपये राज्य वन विभाग को आवंटित किए गए हैं। यह राशि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पौधरोपण और वन संरक्षण के कार्यों के लिए प्रयोग की जाएगी। वन विभाग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए 1.8 करोड़ पौधों के रोपण की योजना बनाई है, जो 76 वन बीटों में फैले होंगे। करीब 1,500 हेक्टेयर में पौधरोपण किया जाएगा। इस वनीकरण अभियान के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य है कि वन आवरण को बढ़ाकर पर्यावरणीय संतुलन को बहाल किया जा सके और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके। प्रदेश में पिछले साल आपदा के कारण पौधरोपण नहीं हो पाया था।विभाग का इस साल उस टारगेट को भी पूरा करने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये की राशि प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैंपा) को आवंटित की गई है। कैंपा का मुख्य उद्देश्य उन क्षेत्रों में पौधरोपण करना है, जहां वन क्षेत्र को नुकसान हुआ है। यह राशि विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के माध्यम से वनों के पुनर्वास के लिए प्रयोग की जाएगी। कैंपा के माध्यम से राज्य सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वन क्षेत्र के नुकसान की भरपाई की जा सके और जैव विविधता की रक्षा की जा सके। प्रधान मुख्य अरण्यपाल राजीव कुमार ने बताया कि प्रदेश में पौधरोपण के जिए 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अभियान राज्य के पर्यावरण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह अभियान न केवल वन आवरण को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी प्रदान करेगा। जंगलों में आग के खतरे को देखते हुए वन विभाग ने चीड़ के पौधे नहीं लगाने का निर्णय लिया है। विभाग ने देवदार, अखरोट, कवार, चमेली, बान, शहतूत और ब्रास के पौधे तैयार किए हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान में विभिन्न प्रकार के स्थानीय और दुर्लभ प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जाएगा।अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल कैंपा गिरिश होसुर ने बताया कि निर्माण कार्यों के लिए काटे गए सभी पौधों की भी भरपाई की जाएगी। कैंपा में 3,000 हेक्टेयर में नेट प्रेसेंट के लिए, 900 हेेक्टेयर में साइट के हिसाब से और 1,000 हेक्टेयर में निर्माण कार्यों के कारण नष्ट हुए जंगलों की भरपाई के लिए पौधे लगाए जाएंगे। कैंपा को अप्रैल में पेड़ लगाने की अनुमति मिल गई थी और पेड़ लगाने के लिए योजना बना ली गई है।

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