देहरादून

मनुष्य को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करते है श्रीमद् भागवत कथा के प्रेरक आख्यान

देहरादून, 7 अप्रैल। माता मंदिर रोड स्थित गणेश विहार में श्रीमती माहेश्वरी देवी मनुरी एवं उनके परिवार द्वारा आयोजित किए जा रहे श्रीमदभागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में श्रीमदभागवत महापुराण के स्कन्धों की विषद विवेचना श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व धर्माधिकारी आचार्य पंडित जगदम्बा प्रसाद सती द्वारा की जा रही है। उन्होंने भागवत कथा श्रवण के पुण्यफल को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान करने तथा प्राणी मात्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त्र करने की प्रेरणा देने वाला बताया है। वास्तव में संस्कृत साहित्य एवं प्राच्य विधा के अध्येता द्वारा की जाने वाली भागवत कथा का सारामृत समाज के लिये हितकारी रहता है। वर्तमान परिवेश में कथा वाचकों की वहुतायत होने के साथ ही जगत कल्याण के इस मार्गदर्शक महान ग्रंथ की सारयुक्त व्याख्या की भी चुनौती कथा वाचकों के समक्ष रहती है।आचार्य पं0 जगदम्बा प्रसाद सती द्वारा भागवत कथा सप्ताह के अन्तर्गत अपने सारगर्भित उद्बोधनों में भागवत के आख्यानों के साथ वेद एवं उपनिषदों में वर्णित आत्मा एवं परमात्मा के गूढ रहस्यों, समाज के प्रति मनुष्य के व्यवहार कर्तव्यों के साथ आदर्श जीवन की संकल्पना को साकार करने का भी मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है। उनका मानना है कि भागवत के सभी प्रेरक आख्यान मनुष्य को आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा ही प्रदान नहीं करते बल्कि उसकी इहलोक और परलोक की यात्रा का मार्ग भी प्रशस्त करने में प्रेरणादायी रहते है। उन्होंने कहा कि हमारी आध्यामिक परम्परा के तत्व ज्ञान ने मानवमात्र के शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा पर संकलित विचार किया है। यही नही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की उपासना के द्वारा मानव के पूर्ण विकास का भी मार्ग प्रशस्त किया है। इससे जीवन के संघर्षों का सामना करने में भी मदद मिलती है। उन्होंने कहा कि हमारे महान ऋषियों की ज्ञान परम्परा हमारे तत्व ज्ञान को स्थायित्व प्रदान करने के साथ हमारी जीवन पद्धति में कर्तव्यों एवं निष्ठाओं के मध्य सामंजस्य स्थापित करने में भी इससे मदद मिलती रही है। कथा व्यास आचार्य जगदम्बा प्रसाद सती द्वारा अपने प्रवचनों में नित्य भगवान की लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन एवं कार्य व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा श्रवण से मनुष्य के जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने पर भी ध्यान देने की बात कही। कथा श्रवण को प्राणी मात्र का कल्याण करने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि वास्तव में भगवान की कथा श्रवण के अवसर हर किसी को प्राप्त नहीं होते। पावन हृदय से इसका स्मरण मात्र करने पर करोड़ों पुण्यों का फल प्राप्त हो जाता है। कथा व्यास आचार्य सती लगभग 40 वर्षों तक भगवान श्री बद्रीनाथ के मंदिर में धर्माधिकारी रहते भगवान के समक्ष प्रस्तुत कथाओं का ज्ञानामृत भी श्रोताओं को प्रदान कर रहे है। कथा श्रवण में बड़ी संख्या में क्षेत्रवासियों द्वारा भागीदारी की जा रही है। इस आयोजन में श्री दीपक मनुरी, श्री गणेश मनुरी, विधायक श्री अनिल नौटियाल तथा जानकी प्रसाद कैलखुरा, श्री विश्वनाथ शास्त्री कैलखुरा, कमलेश कैलखुरा, देवेश कैलखुरा, राजेश कैलखुरा, आशीष डिमरी, रोहित डिमरी, संजय कुमार, आचार्य भगवती प्रसाद सती, चन्द्रशेखर देवली आदि की विशेष उपस्थित रही।

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