उत्तराखंडक्राइमदेश-विदेशराज्य

जेल में कैदी महिलाए कैसे हो रही गर्भवती, मामला तूल पकड़ा,SC ने लिया संज्ञान!

न्यूज डेस्क/उत्तराखण्ड: 12 Feb.–2024: सूत्रो के हवाले से  पश्चिम बंगाल  राज्य के जेल के अंदर बंद महिलाएं आखिर कैसे हो रही गर्भवती मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सूत्रो के हवाले से मिली  जानकारी के अनुसार बड़ी खबर हम आपको बता रहे हैं जहां जेल के अंदर बंद महिलाएं गर्भवती हो रही हैं! वही इसी के साथ इस तरह गर्भवती होने का मामला टूल पकड़ता जा रहा है। जहां अब सुप्रीम कोर्ट ने भी पुरुषों की एंट्री बैन की रिपोर्ट मांग ली है।

बता दे कि यह मामला 9 फरवरी को सामने आया। पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद महिला कैदियों के गर्भवती होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगा। जिसमें न्याय मित्र ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल के सुधार गृहों में बंद कुछ महिला कैदी गर्भवती हो रही थीं। और 196 छात्र बच्चों का जन्म भी हो चुका है, जिन्हें अलग-अलग केयर होम में रखा गया है।

सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के अलीपुर महिला जेल, बारुईपुर, हावड़ा, हुगली, उलुबेरिया जेल में महिला कैदियों को रखा गया है. इसके अलावा, केंद्रीय सुधार केंद्रों या दमदम, मेदिनीपुर, बहरामपुर, बर्दवान, बालुरघाट सहित कई जिला जेलों में भी महिला कैदी हैं. हालांकि इन जेलों में पुरुष कैदियों को भी अलग रखा गया है. किसी भी कारण से एक-दूसरे के निकट लाए जाने पर जेल प्रहरियों को हर समय मौजूद रहना होता है. फिर भी ये सवाल बना हुआ है कि यह कैसे हुआ?

मिडियिा रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने  महिला बंदियों के लॉकअप तरफ पुरुषो का बैन होने की रिपोर्ट मांग ली है। वही इस दौरान सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि महिला सेल की तरफ पुरुषो का बैन है इसकी रिपोर्ट मांग ली क्या सुरक्षा व्यवस्था की क्या हो गई कमी आखिर जेल के अंदर पुरुष बैन है।

सूत्रो की माने तो इसके बाद भी कैसे महिला बंदी गर्भवती हो रही है महिलाओं के गर्भवती होने का मामला आश्चर्य जनक साबित हो रहा है। वही जिसमें  पुरुष का जाना प्रतिबंधित होने के बाद भी आखिर महिला कैसे गर्भवती हो रही है।

वही इस  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के जेल में बंद कुछ महिला कैदियों के गर्भवती होने के मुद्दे पर शुक्रवार (9 फरवरी) को संज्ञान लिया है. मामले की जांच के लिए सहमति व्यक्त करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल से इस मुद्दे को देखने और एक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अग्रवाल जेलों से संबंधित मामले में न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहे हैं। वही जिसमें, जेल मंत्री अखिल गिरि ने कहा कि उनके कार्यालय में ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. हालांकि, जेल अधिकारी भी इस आरोप को मानने से कतरा रहे हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button