श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्तराखंड में हर्ष और उल्लास के साथ मनाई गई।
देहरादून/उत्तराखण्ड: 07 SEP. – 2023: खबर…. राजधानी सेदेहरादून स्थित इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने की तैयारी कहीं 6, तो कहीं 7 सितंबर मना रहे है। देहरादून में भी 6 व 7 सिंतबर को जनमाष्टमी की धूम देखने को मिली। वहीं देहरादून शहर में जन्माष्टमी पर्व को लेकर घर-घर में लड्डू गोपाल का विशेष शृंगार किया गया। साथ ही कई तरह के पकवान भी बनाए गए। भक्तों ने व्रत रखकर राधा-कृष्ण की पूजा की। वही इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने शहर के विभिन्न मंदिरो में कृष्ण राधा की भव्य झांकी निकाली। वो कही बाल कृष्ण को सिर पर टोकरी रखकर यमुना पार करने का मंचन और नन्हे बांके बिहारी को माखन मिश्री का भोग लगाने के मंचन ने श्रद्धालुओं को भक्ति रस में डूबो दिया। वही कही श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं का मंचन किया गया।
वही सभी लोगो का इस बात पर एकमत हैं कि ठाकुरजी का जन्म भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। तो जन्माष्टमी अलग.अलग दिन क्यों मनाते हैं। स्मार्त यानी गृहस्थ इस बार कुछ भक्त 6 सितंबर, को राज्य के कई मंदिरो में मनायी गई। जबकि वैष्णव यानी संत 7 सितंबर को दो दिन जन्माष्टमी मना रहे।
वही इस अवसर पर देहरादून स्थित श्रीकृष्ण लीला के विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। पुलिस लाइन देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि.) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की।
वहीं देहरादून के करनपुर बाजार में लक्ष्मी नारायाण मंदिर में आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूम धाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वही इस मंदिर में कृष्ण झूला भव्य ढंग से सजाया गया। करीब रात 8 से 12 बजे तक भजन गायन के साथ श्री बांके बिहारी व राधा जी की रास लीला में सैकड़ो श्रद्धालु मग्न हो गए। गीतों की धुन पर सभी झूमने को मजबूर हो गए। लक्ष्मी नारायाण मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव पर कलाकारों ने मनमोहक झांकिया प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। वही ठीक रात्री 12.00बजे इस दौरान हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की, नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की… भजन पर श्रद्धालु भक्ति में डूब गए। लड्डू गोपाल का पवित्र गंगाजल, दूध, दही, शहद, शक्कर, पंचामृत से अभिषेक किया गया। आधी रात को कृष्ण जन्मोत्सव के बाद आरती, प्रसाद वितरण के साथ श्रद्धालुओ ने एक दुसरे को बधाई दी।
कई मंदिरो में राधा कृष्ण की भक्ति में श्रद्धालु ऐसे डूबे की अपनी सुध बुद्ध खोे बैठे। वही जिसमें श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। इस शुभ अवसर पर रात्रि ठीक 12.00 बजे कृष्ण को लड्डू चूरमा, माखन का मिश्री के भोग के बाद कन्हैया जन्म हुआ। बैंड बाजो व ढोल की थाप के साथ कृष्ण भजन गाए गए। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्तराखंड में हर्ष और उल्लास के साथ मनाई गई।