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दून मेडिकल में मरीज मुंह ताक रहे, यहां एंबुलेंस, स्ट्रेचर, व्हीलचेयर बनी लोडिंग!

उत्तराखंड: 23 जून 2025, देहरादून / राजधानी स्थित दून अस्पताल, देहरादून में लापरवाही घोर लारवाही का आलाम देखा जा सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार  सूबे के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल देहरादून में सफेद हाथी बना, दून अस्पताल हाथी की तरह दांत है इसे खाने के ओर दिखाने के ओर दिखते हैं। वही जिसमें आपको बता दे की इस अस्पताल की हालत अंदर से बेहद खराब बनी हुई है। देहरादून के सबसे बड़े दून अस्पताल में रोज करीब 2000/2500 की संख्या में मरीज पंजीकरण कर रहे हैं। जिसमें डेंगू के खतरे एवं मौसमी बुखार व संक्रमण आदि रोग से पीड़ित मरीज इलाज कराने लंबी लाइनों में घंटों बिता रहे हैं।आजकल मौसमी बुखार, डेंगू मलेरिया व संक्रमण रोग के कारण अस्पतालों में बहुत भीड़ बढ़ रही है ।

दून अस्पताल में इलाज करवाने वाले अधिकांश मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं, जिनके पास प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने की सामर्थ्य नहीं होती। ऐसे में, सरकारी अस्पतालों पर उनकी सबसे बड़ी उम्मीद टिकी होती है। मरीजों की सुविधाओं के लिए एंबुलेंस स्टेशन व्हीलचेयर जो प्राथमिकता तौर पर प्रयोग की जाती है लेकिन इस अस्पताल में मरीज मुंह तक रहे हैं , और स्टाफ मरीज के मुख्य सामग्रियों का गलत उपयोग कर रहे हैं।

इस दौरान हमारे वरिष्ठ संवाददाता ने जब अपने कमरे में हैरान कर देने वाली तस्वीर कैद की तो सबसे पहले एंबुलेंस में मरीज की जगह समान ढोया जा रहा है। जिसे लोडिंग गाड़ी की जगह उपयोग किया जा रहा है, वहीं दूसरी जगह मरीज के लिए स्ट्रेचर ढूंढने से नहीं मिलती लेकिन यहां स्ट्रेचर पर वॉशरमैन कपड़े ढो रहा है । इस पर भी कोई रोक-टोक नहीं है सब आंखें मूंदे बैठे हैं। इस नजारे को देखकर इसी के साथ दूसरी जगह मरीज के लिए बनी व्हीलचेयर जिसे मरीज जगह-जगह ढूंढता फिरता है और यहां पर उसे व्हीलचेयर में दवाइयां की पेटीयां ढोई जा रही है ।  ऐसे कई तरह की तस्वीर देखने को मिलती है, इस अस्पताल में लेकिन कोई इस पर कार्रवाई करने के लिए सक्त कदम उठाने के लिए नहीं क्यों नहीं उठाते। बस एसी में बैठक फोन पर लगे रहते हैं।

लेकिन दून अस्पताल की हालत यह दर्शाती है कि यहां इलाज करने के बजाय मरीजों तड़पाय और परेशान किया जाता है। मेडिकल कॉलेज बनने के बाद उम्मीद जताई गई थी कि दून अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं में सुधार होगा, लेकिन असलियत इसके बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। मरीजों को इलाज के नाम पर बजट ठिकाने लगाया जा रहा है जिससे मरीजों की स्थिति और बिगड़ रही है। इसके परिणामस्वरूप, अस्पताल में इलाज कराने आए लोग जान जोखिम में डालने के लिए मजबूर हो रहे हैंI राजधानी में हो रही सड़क दुर्घटनाओं का असर दून अस्पताल की इमरजेंसी में भी दिखाई दे रहा है। अस्पताल में हर रोज करीब 20 से 25 लोग घायल होकर पहुंचते हैं।

जबकि दून अस्पताल राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में गिना जाता है, और जिसे अक्सर चंडीगढ़ के पीजीआई और दिल्ली के एम्स जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के साथ तुलना की जाती है।

देहरादून दून अस्पताल में इलाज की व्यवस्था पर सवाल: मरीजों की जान जोखिम में और वार्ड बॉय अस्पताल प्रबंधन, कई पी.आर.ओ. तैनात  किए हैं यह सब अपनी नौकरी का आनंद ले रहे हैं। यहां पर कैमरे तो लगे हैं लेकिन मेहज दिखाने के लिए लगे हैं। अगर कैमरे की बात करें तो , अगर आप किसी स्टाफ कर्मी से या अधिकारी से उलझते हो या कोई घटना हो जाती है उसकी फुटेज कैमरे की चेक होती है। लेकिन यहां जो अव्यवस्था है हर समय देखने को मिलती है वह कैमरे से कोई संज्ञा नहीं लेता यह बड़ी हैरान करने वाली बात है।वही इस दून अस्पातल में घोर लारवाही का आलाम देखा जा सकता है। दून अस्पताल (राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल) में मरीजों को कुछ कार्यवाही या व्यवस्था में परेशानी हो रही है, जिसके कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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