
उत्तराखण्ड : 12 फरवरी 2025 ,उत्तराखंड नैनीताल। यूसीसी (समान नागरिक संहिता) के प्रावधानों को व्यावहारिक और असवैधानिक बताने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए 6 सप्ताह में उन तमाम बिंदुओं पर जवाब मांगा गया है जो याचिकाकर्ताओं द्वारा अपनी याचिका में प्रमुखता से उठाए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि भीमताल निवासी सुरेंद्र सिंह नेगी और बसेड़ी निवासी मोहम्मद इकराम सिद्दीकी द्वारा दो जनहित याचिकाएं दायर करते हुए लिव इन रिलेशनशिप और कुछ अन्य धार्मिक मुद्दों को उठाते हुए सरकार द्वारा लागू किए गए यूसीसी के प्रावधानों पर सवाल उठाए गए थे। इन याचिकाओं को सुनवाई योग्य मानते हुए आज मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसकी सुनवाई की।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिका कर्ताओं के अधिवक्ताओं से कई सवाल पूछे गए तथा लिव इन रिलेशन के मामले में किए प्रावधानों को महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टिगत किये गए फैसले के तौर पर देखने की बात भी कहीं। याचिकाकर्ताआें द्वारा कई मुद्दों को इसमें उठाया गया है और कहा गया है कि यह एक धर्म विशेष के अधिकारों में अनाधिकृत रूप से हस्तक्षेप है।
उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी को उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य में यूसीसी को लागू किया गया था। इसके बाद से इसे लेकर कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं और मुस्लिम संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। इस मामले में अब दो जनहित याचिकाओं को सुनवाई योग्य मानते हुए न्यायालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद और केंद्र तथा राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगे जाने के बाद यह मामला फिर गर्मा गया है। राज्य सरकार व केंद्र सरकार अब इस मामले में क्या जवाब देती है इसके बाद इस मुद्दे पर फिर हाई कोर्ट में सुनवाई होगी।
उत्तराखंड हाईकोर्ट अगर याचिका कर्ताओं की अपील को खारिज भी कर देता है तब भी याचिकाकर्ताओं के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला रहेगा। लेकिन इस मामले के न्यायालय में जाने से पेचीदगी जरूर पैदा हो गई है क्योंकि कोर्ट द्वारा सरकार को कुछ संशोधन करने का सुझाव भी दिया जा सकता है।