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30 दिसंबर को मनाई जाएगी पौष अमावस्या

उत्तराखण्ड : 10 दिसम्बर 2024 ,देहरादून। अमावस्या तिथि का सनातन धर्म में काफी महत्व है। इस दिन पितरों की पूजा का भी विधान होता है। इसके साथ ही इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान-पुण्य के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं। किसी भी महीने में अमावस्या तिथि सोमवार को मनाई जाए, तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस बार पौष माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं। दृक पंचांग के अनुसार, 30 दिसंबर 2024 दिन सोमवार को कृष्ण पक्ष की पौष अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन पितरों की पूजा और देवी-देवताओं का पूजा अर्चना करना शुभ माना जाता है। पूर्वजों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्य शुभ माने जाते हैं। आइए आपको बातते हैं शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करें-क्या नहीं?

दिसंबर में कब है पौष अमावस्या?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, पौष माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर होगा और अगले दिन 31 दिसंबर 2024 को सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि के अनुसार, 30 दिसंबर 2024 के दिन सोमवार को पौष अमावस्या मनाई जाएगी। इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। सोमवती अमावस्या के दिन शिवजी की पूजा करने का विशेष विधान है।

पौष अमावस्या शुभ मुहूर्त
-ब्रह्म मुहूर्त- 05.16 ए एम से 06. 11 ए एम
– अभिजित मुहूर्त- 11.54 ए एम से 12.35 पी एम
– विजय मुहूर्त – 01.57 पी एम से 02. 38 पी एम

पौष अमावस्या के दिन क्या करें
-पौष अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना शुभ होता है। अगर संभव न हो तो घर में गंगाजल डालकर स्नान करें।
– इस दिन आप तांबे के लौटे में जल भरकर और काला तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
– अमावस्या के दिन संभव हो सके तो मौन रहकर व्रत-उपवास करें।
– सोमवती अमावस्या के दिन दूध, शहद, दही, काला तिल, सफेद कपड़े और चीनी इत्यादि का दान करें।
– इस दिन गरीबों और जरुरतमंदों को भोजन खिलाएं।
– अमावस्या के दिन फल और वस्त्रों का दान करना शुभ होता है, लेकिन इस दिन अन्न दान करना शुभ होता है।
पौष अमावस्या के दिन क्या न करें?
-इस दिन क्रोध पर नियंत्रण रखें। किसी से व्यर्थ में वाद-विवाद न करें।
– इस दिन आप जितना मौन रहेंगे और अपशब्दों का इस्तेमाल करने से बचें।
– पौष अमावस्या के दिन मांस-मदिरा समेत तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।
– इस दिन तुलसी पर जल नहीं अर्पित करना चाहिए और न ही तुलसी को स्पर्श करें।
– इस दिन भूलकर भी पाप कर्म जैसे कि चोरी करना, झूठ बोलना समेत अन्य गलत कार्यों से बचना चाहिए।

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