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विश्व एड्स दिवस पर स्वयं संस्था ने किया कार्यक्रम का आयोजन

उत्तराखण्ड : 04 दिसम्बर 2024 ,देहरादून। एड्स दिवस के उपलक्ष में स्वयं संस्था ने ओंकार रोड स्थित वेदारंभ मांटेसरी स्कूल में परिचर्चा ,पोस्टर एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया।इस अवसर पर छात्राओं द्वारा उक्त विषय पर प्रदर्शनी भी लगाई गई। चार्ट के माध्यम से छात्राओं ने इस रोग के कारण एवं उनसे बचने के उपाय पर प्रकाश डाला । इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य वक्ता डॉ ०कुसुम रानी नैथानी ने बताया कि एड्स एच.आई.वी. नामक विषाणु से होता है। संक्रमण के लगभग बारह सप्ताह के बाद ही रक्त की जाँच से पता चलता है कि यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर चुका है । ऐसे व्यक्ति को एच.आई.वी. पोजिटिव कहते हैं जो कई वर्षों तक सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।वह दूसरों को बीमारी फैलाने में सक्षम होता है।

यह विषाणु मुख्यतः शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले रक्त में मौजूद टी कोशिकाओं व मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। धीरे- धीरे यह स्थिति हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह का संक्रमण से ग्रसित होने लगता है इस अवस्था को एड्स कहते हैं।एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति मेंगले या बगल में सूजन भरी गिल्टियों का हो जाना , लगातार कई-कई हफ्ते बुखार रहना ,अकारण वजन घटते जाना, मुंह में घाव हो जाना आदि लक्षण प्रमुख रूप से दिखाई पडते है । एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ सामान्य संबंध जैसे हाथ मिलाने, एक साथ भोजन करने, एक ही बर्तन का पानी पीने, कपडों के प्रयोग, एक ही कमरे घर / शौचालय/ स्नानघर प्रयोग में लाने से, बच्चों के साथ खेलने व मच्छरों अथवा खटमलों के काटने से यह रोग नहीं फैलता।

एड्स का कोई उपचार या बचाव का स्थाई टीका नहीं हैं। इससे बचने के लिए हमेशा जीवाणुरहित अथवा डिस्पोजेबल सिरिंज व सुई ही उपयोग में लानी चाहिए।

स्वयं संस्था की उपाध्यक्षा श्रीमती मंजू सक्सेना ने अपने संबोधन में एड्स से बचने के उपायों पर प्रकाश डाला ।एड्स की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि ‘हमें बचाव में ही बचाव है ‘को अपने जीवन में चरितार्थ करना चाहिए।एड्स के मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई से टैटू बनाना अथवा संक्रमित खून चढ़ाना है। हमें इनसे सतर्क रहना चाहिए जिससे इस भयावह रोग से बचा जा सके । उन्होंने संदेश दिया कि यहां से प्राप्त जानकारी वह अपने परिवार एवं पड़ोस में भी प्रचारित एवं प्रसारित करें । उत्तराखंड की अमूल्य वनस्पतियां जैसे गिलोय, तुलसी, पपीते एवं नीम के पत्ते ,एलोवेरा , हरड़ व सतावर आदि के सेवन द्वारा एड्स रोग से बचाव एवं एड्स रोगी के जीवन प्रत्याशा में वृद्धि की जा सकती है ।

इस मौके पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में कु भारती कक्षा 09 व भाषण प्रतियोगिता मे कु अनीता कक्षा 10 विजेता रहीं। स्वयं संस्था द्वारा विजेताओं को पुरस्कृत किया गया । इस अवसर पर डॉ  उमेश चंद्र, दिनेश जोशी ,श्रीमती श्वेता, श्रीमती कौशल्या,श्रीमती स्नेह जोशी, श्रीमती नेहा, श्रीमती शांति, श्रीमती सोनाली चौधरी एवं श्रीमती मीना एवं विभिन्न विद्यालयों की छात्राएं उपस्थित रहीं।

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