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हाथ-पैर में छाले हों या चोट शिव भक्तों की आस्था के आगे फीका पड़ता..!

उत्तराखंड: 13 जुलाई 2025 रविवार को  हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व होता है। शिव भक्त इन दिनों का बहुत बेसब्री से इंतजार करते हैं, जो इस साल जुलाई से शुरू होने वाली है। बता दें कि इस बार सावन 11 जुलाई, शुक्रवार के दिन से श्रावण मास की  शुरुआत हो गई है ,. वही जिसमें राज्य सरकार उत्तरप्रदेश एव उत्तराखंड में सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के तौर पर कावड़ यात्रा को लेकर इन दिनों व्यापक स्तर पर पुलिस प्रशासन एव जिला प्रशासन ने तैयारी की गई हैं।

इस दौरान शिव भक्त नारंगी रंग के वस्त्र में बांस की लकड़ी पर दोनों तरफ टोकनियों में गंगाजल भरकर मीलों दूर तक का पैदल सफर तय करते हैं। साथ ही बम बम भोले का जयकारा भी लगाते हैं। हाथ.पैर में छाले हों या कोई चोट शिव भक्तों की भक्ति पर किसी भी चीज का असर नहीं पड़ता है। वे पूरी श्रद्धा से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं। माना जाता है कि  कांवड़ यात्रा को पूरा करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण कर देते हैं। इस यात्रा को करने से व्यक्ति के जीवन की कठिनाइयां कम होती हैं

वहीं , शिव भक्त शामिल होते हैं और मीलों दूर चलकर गंगा नदी से जल लेकर आते हैं। इसके बाद, सावन शिवरात्रि के दिन वापस लौटने पर भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, जिसे बहुत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी विशेष कृपा भक्तों पर बनी रहती है। इस यात्रा में श्रद्धालु बांस से बनी कांवड़ में गंगाजल भरकर उसे अपने कंधों पर टांगकर वापस लौटते हैं। इस यात्रा को पूरा करना बेहद फलदायी माना गया है।

जानकारी के अनुसार इस बार पंचक 17 जुलाई, गुरुवार को समाप्त हो रहा है और इस दिन से शिवरात्रि में एक सप्ताह का दूरी रह जाएगी, क्योंकि 23 जुलाई, बुधवार के दिन शिवरात्रि पड़ रही है। ऐसे में इन 7 दिनों के दौरान शिव भक्तों के अंदर एक अलग जोश और उत्साह देखने को मिलता है। सभी मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे जगह-जगह पर सड़कों पर भारी जाम भी देखने को मिलता है। साथ ही, इन 7 दिनों के दौरान कांवड़ यात्रा भी समाप्त होने का समय नजदीक आ रहा होता है, जिसके चलते सभी कावड़ियां वापस अपने शहर की ओर बढ़ रहे होते हैं। ऐसे में भक्तों की सुविधा के लिए कई रास्तों को बंद भी किया जाने लगता है। यही कारण है कि आपको सावन शिवरात्रि के नजदीक आते-आते यानी कांवड़ यात्रा के आखिरी के सप्ताह में सड़कों पर भंयकर जाम का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, कांवड़ यात्रा में कुछ दिनों तक भयानक जाम रहता है। पुलिस व प्रशासन कांविड़यों के लिए अलग रूट प्लान बनाया है।

वहीं इस बार सीएम योगी ने हाईटेक टेक्नोलॉजी से कांवड़ यात्रा रूट और शिव मंदिरों निगरानी के निर्देश हैं। साथ ही पुलिस एव प्रशासन द्वारा   कांवड़ यात्रा मार्ग पर साफ-सफाई, यातायात व्यवस्था, चिकित्सा सहायता एवं विद्युत आपूर्ति की सुचारु व्यवस्था बनाए रखने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. आपात स्थिति के लिए त्वरित रिस्पॉन्स टीम सक्रिय हैं. सभी संवेदनशील बिंदुओं पर सतर्क दृष्टि हैं।  वही , श्रद्धालुओं से मित्रवत व्यवहार रखने पर जोर दिया था. यातायात व्यवस्था को निर्बाध बनाए रखने के लिए बैरिकेडिंग, डायवर्जन व पार्किंग स्थलों पर ड्यूटी भी लगाई जा चुकी हैं।

 

चिकित्सा, अग्निशमन, जलापूर्ति एवं विद्युत व्यवस्था की सतत निगरानी हो रही है. किसी भी आपात स्थिति में त्वरित रिस्पॉन्स एवं उच्च अधिकारियों को सूचनाएं देने के निर्देश दिये गये हैं।24 घंटे रियल टाइम मॉनीटरिंग की व्यवस्था:में इतना ही नहीं कांवड़ यात्रा के रूट की जमीन स्तर पर सुरक्षा के लिए एटीएस, आरएएफ और क्यूआरटी जैसे विशेष बलों को तैनात किया गया हैं। अधिकारी मानते हैं कि तीर्थयात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।शिवभक्ति का ये पावन सावन पवित्रता, शुचिता, शांति, प्रेम और आराध्य के प्रति समर्पण का संदेश देता हैं। . लेकिन इसी सावन में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे दो ऐसे राज्य हैं जहां शिवभक्तों के रूप में सड़कों पर चलने वाले कांवड़ियों का असंयमित और हिंसक व्यवहार नजर आने लगाहैं।

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