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केंद्रीय मंत्री ने वैश्विक खाद्य अपशिष्ट समस्या पर भी चर्चा की!

नई दिल्ली,/उत्तराखण्डः 01 सितंबर 2024, रविवार को जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने आइडियाज लाइफ में सुझाव भेजने की समय सीमा 15 सितंबर से बढ़ाकर 15 अक्टूबर कर दी है। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में आर्थिक और परितंत्र मोर्चों की जरूरत पर जोर देते हुए कहा, “विकसित अर्थव्यवस्थाओं को भी विकसित परितंत्र को अपनाना चाहिए। हम सभी को जिम्मेदार नागरिक के रूप में पर्यावरण के प्रति मजबूत चेतना विकसित करनी चाहिए।” केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग के सहयोग से आज आईआईटी बॉम्बे में अभिनव पर्यावरणीय समाधानों के प्रति उत्साह पैदा करने के लिए ‘आइडियाज 4 लाइफ’ का आयोजन किया।

यह आयोजन छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को ऐसे सुझाव देने में शामिल करने की एक पहल है जो पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को बढ़ावा देते हैं। यह कार्यक्रम मुंबई और उसके बाहर के शैक्षणिक समुदाय को शामिल करने का प्रयास है, जिसमें पूरे भारत में यूजीसी, एआईसीटीई, आईआईटी और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों की भागीदारी को आमंत्रित किया जाता है। इस कार्यक्रम में मुंबई के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से 1200 छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। श्री भूपेंद्र यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 05 जून, 2024 को शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत आईआईटी बॉम्बे में एक पौधा लगाया।

इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने सरकार के मिशन का वर्णन किया और “आइडियाज़4लाइफ़” की थीम को समझाया, जिसमें जीवन के सभी पहलुओं के परस्पर संबंध पर ज़ोर दिया गया। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि ‘जीवन’ में मानवीय ज़रूरतों से कहीं ज़्यादा चीजें शामिल हैं। उन्होंने सभी जीवों और पर्यावरण के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की वकालत की। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि विकास के लिए मानव-केंद्रित सोच अपर्याप्त है, इसके बजाय उन्होंने पर्यावरण के प्रति जागरूक मॉडल की वकालत की। उन्होंने बढ़ते तापमान और जैव विविधता के नुकसान जैसे विकास के प्रतिकूल प्रभावों पर प्रकाश डाला और भोजन, ऊर्जा, दवा और अन्य संसाधन प्रदान करने में प्रकृति की आवश्यक भूमिका पर जोर डाला।

उन्होंने जैव विविधता के लिए पृथ्वी के एक तिहाई हिस्से को संरक्षित करने के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा कि लगभग 50,000 प्रजातियां मानव उपभोग में इस्तेमाल की जाती हैं। उन्होंने सतत विकास के लिए तीन आवश्यक कार्यों उपभोग की मांग में बदलाव, आपूर्ति प्रणालियों में सुधार और प्रभावी नीतियों को लागू करने पर भी जोर दिया। केद्रीय मंत्री ने भारत की पर्यावरणीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सरकार ने अपने अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को निर्धारित समय से नौ साल पहले हासिल कर लिया और कृषि में रासायनिक उपयोग को कम करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड पहल शुरू की है। केंद्रीय मंत्री ने वैश्विक खाद्य अपशिष्ट समस्या पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि 15 अरब टन खाद्यान्न प्रतिवर्ष कचरा भराव क्षेत्र में भेजा जाता है। उन्होंने शिक्षा, नवाचार और तकनीकी प्रगति को प्रकृति में सुधार और संरक्षण पर केंद्रित करने का आह्वान किया।

उन्होंने विभिन्न कॉलेजों के छात्रों से विचार और सुझाव आमंत्रित करते हुए उनसे प्रकृति के संरक्षण और कचरे को कम करने में योगदान देने का आग्रह किया, जो अंततः विकास रणनीतियों में पर्यावरणीय संतुलन को एकीकृत करने में मदद करेगा। इस कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेष सचिव तन्मय कुमार; महाराष्ट्र सरकार के प्रधान सचिव (पर्यावरण) प्रवीण दराडे; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर सचिव अमनदीप गर्ग; आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रो. शिरीष बी. केदारे और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राज्य सरकार के विभिन्न अधिकारी शामिल हुए।

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