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इस अस्पताल में संविधाकर्मीयों का 2-2रू0 में हो रहा खेला, मरीजो के साथ बेरूखी से पेश आते है!

जिला अस्पताल में संविधाकर्मी लगा रहे मरीजो को चुना,अस्पताल प्रबंधक नींद में सोया!

उत्तराखण्डः 14 अगस्त 2024, देहरादून स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय ;कोरोनेशन, जिला अस्पताल देहरादून से सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का यह जिला अस्पताल अक्सर सुर्खियों में बना रहता है ।

दून का जिला अस्पताल पंडित दीनदयाल  (कोरोनेशन) अस्पताल एवं इसी का भाग 2 गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय यह दोनों जिला अस्पताल के अंतर्गत आते हैं। यह दोनों अस्पतालों की दूरी एक से डेढ़ किलोमीटर की बीच की दूरी है। जिसमें अधिकतम डॉक्टर कोरोनेशन में बैठते हैं और कुछ डॉक्टर गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में बैठते हैं।

बता दे कि इस जिला कोरोनेशन अस्पताल में मौसमी बुखार व डेंगू मलेरिया, टाइफाइड बुखार ,हड्डी रोग, चर्म रोग, नेत्र रोग, गर्भवती महिलाए आदि अन्य रोगी इस अस्पताल में रोज मरीजों की संख्या बढ़ रही है वही जिसमें ओपीडी पंजीकरण कराने हेतु करीब 650 एवं 700 के करीब मरीजों की ओपीडी पर्चा बनाया जाता है।

वहीं दूसरी ओर गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में 250 से 300 के करीब मरीजों के पंजीकरण ओपीडी पर्चा बनाया जाता है। जिसमें पंजीकरण ओपीडी पर्चा का शुल्क ₹28.00 लिया जाता है । वहीं गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में भी ओपीडी पर्चा का शुल्क 28 रुपए लिया जाता है।

सूत्रो से  बड़ी हैरान करने वाली बात पता चली है कि यहां पंजीकरण ओपीडी पर्चा काउंटर में जो संविदाकर्मी बैठे हैं वह पूरे ₹30 का पंजीकरण पर्चा शुल्क के रूप में लेते हैं।   काउंटर पर खुले ₹2  नहीं वापस देते है। इसी के साथ देखा जाए 650 से 700 की ओपीडी पर्चे में संविधाकर्मीयों  द्वारा रोजमर्रा के ₹2 मुनाफे के तौर पर हजार रुपए से अधिक प्रतिदिन यही काउंटर पर बैठे कर्मचारी कमाते हैं।

 सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार इस पर ना तो चिकित्सालय प्रबंधन ने गौर फ़रमाया और न हीं पीएमएस ने इस पर कोई विशेष ध्यान दिया। साथ ही सवाल उठता है कि इस अस्पताल में तैनात तथाकथित जनसंपर्क अधिकारी भी आंखे मूंदे क्यो बैठा? वही इस  अस्पताल में मरीजों की सुविधा को लेकर अक्सर विभिन्न परेशानियों को लेकर वहां से भटकते रहते हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अस्पताल में कुछ तीमारदारों और मरीज ने हमारे संवाददाता को विशेष जानकारी देते हुए बताया कि  यहां अस्पताल में ओपीडी पंजीकरण काउंटर पर  खड़े तीमारदारों ने बताया कि पिछले कई सालों से यहां पर्चा बनाने का जो शुल्क लिया जाता है उसके खुले पैसे नहीं दिए जाते और अगर आप खुले पैसे मांगोगे तो आपके लौटा दिए जाएंगे ।और कहेंगे खुले लेकर आओ फिर मरीज या तीमारदार मारे मारे फिरते रहते हैं।

साथ ही  कुछ लोगों कहना है कि चिकित्सालय पर प्रबंधक या स्वास्थ विभाग को रजिस्ट्रेशन हेतु ओपीडी पर्चा का शुल्क का रेट करीब ₹30 कि जगह राज्य सरकार ने ₹20 का ऐलान तो किया लेकिन आज तक पंजीकरण शुल्क नही घटाया गया है। जिससे खुले पैसे देने का झंझट खत्म हो जाएगा। लेकिन अगर ऐसा स्वास्थ्य विभाग या शिक्षा प्रबंधन अब तक नहीं क्यों नहीं करता यह भी एक सवालिया बना है। ओपीडी पर्चा  काउंटर पर महज दिखावे के लिए बोर्ड लगा है कि 2रू खुले दे या फिर बाद में प्राप्त करें। लेकिन ऐसा नही किया जा रहा है।

अगर आपने जिला अस्पताल में अपना इलाज करने जा रहे हैं तो पर्चा बनाने के लिए 28 रुपए खुले पैसे लेकर जाए या ऑनलाइन भुगतान करें! लेकिन यह ऑनलाइन भुगतान की सुविधा नहीं दिखाई पड़ती है। अगर आपने  रजिस्ट्रेशन काउंटर पर  आपने ₹50 का नोट दिया तो आपको  ₹20 ही वापस दिए जाएंगे! और अगर आपने कुछ टोक की बाकी पैसे खुले भी दीजिए तो आपको₹50 वापस करके मना कर दिया जाएगा।

इस दौरान चंदन नगर नई बस्ती के निवासी राम प्रकाश ने बताया कि मैंने इन्हें ₹30 दिए ओपीडी पर्चा पंजीकरण शुल्क के लेकिन उन्होंने ₹ 2 भी वापस नहीं किया। मैंने जब उनसे खुले पैसे वापस मांगे तो उन्होंने मेरे खुले ₹2 वापस करने से मना कर दिए और  पहले  तो खुले  नहीं है  कहीं और जाकर अपना इलाज कराओ।

दूसरी और करणपुर निवासी सोनू कुमार ने बताया कि आधे घंटे में उसका नंबर आया और उन्हें ₹50 पंजीकरण शुल्क के दिए जिसमें उन्हें ₹20 वापस किया। 2 रू0  वापिस नही दिए।और उन्हें कहीं की खुले पैसे नहीं है बाद में खुले ₹2 दे देगे।  नई बस्ती चंद्र नगरकॉलोनी श्रीमती शमा परवीन ने बताया कि उन्होंने भी ₹30 रजिस्ट्रेशन शुल्क बनाने के लिए दिए लेकिन  उन्हें भी 2 Rs. वापस नहीं दिए !

जिला अस्पताल को कोरोनेशन एवं गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में ओपीडी पर्चा पी पंजीकरण काउंटर पर जो कर्मचारी बैठे हैं।  इसी तरह मरीज या तीमारदारों से ₹30 लेकर कोई खुले पैसे वापस नहीं देते और वही मरीज के टोकन पर काउंटर बैठे संविदाकर्मी  उनके साथ बदतमीजी पर उतर आते हैं ।

जिसमें से कुछ मरीजों ने हमें बताया कि गांधी नेत्र चिकित्सालय में एक महिला संविदाकर्मी  इसी काउंटर पर पिछले कई सालों से बैठी है। और वह बहुत बदतमीजी वह अब शब्द का प्रयोग करके मरीजों से पेश आती है। साथ ही पंजीकरण शुल्क में वापस 2 Rs  नहीं देती और उल्टा तिमारदार पर गरज पड़ती है जाओ खुले पैसे लेकर आओ! साथ ही 28 ₹ का पंजीकरण पर्चा यह सिर्फ दिखाने का लिखा है । पर्चा बनवाना है तो कृपया ₹30 देने पड़ेंगे अगर इलाज करना है तो ।

सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में मरीजों ने कई बार संबंधित अधिकारियों चिकित्सा अधिकारियों को शिकायत भी मौखिक रूप से की लेकिन इन कर्मचारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई अब तक जिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस अस्पताल में इस तरह की मनमानियां पिछले कई सालों से चली आ रही है ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए जो रजिस्ट्रेशन काउंटर पर अपना इलाज करने से पहले मरीज को₹28  का पर्चा बनवाना अनिवार्य होता है। अधिकतर मरीजों के पास खुले पैसे नहीं होते ऐसे में अधिकतर मरीज ₹30 या ₹50 देते हैं लेकिन मरीजों के बचे हुए पैसे वापस  नहीं दिए जाते हैं।

इसी से आप अंदाज लगाइए कि इस जिला अस्पताल में  600 -650 मरीज अपना पंजीकरण कराते हैं वहीं गांधी शताब्दी नेता चिकित्सालय में 250 से 300 के करीब मरीज अपना ओपीडी पर्चा इस जिला अस्पताल में 28 नहीं ₹30 का पर्चा बनता है ऐसे कितने लोगों को खुले पैसे न होने के कारण कर्मचारियों कीआपस में बंदरबांट हो रही है।

वहीं कुछ मरीज खुले पैसे मांगते नहीं जो मांगते हैं उनसे यह कहा जाता है कि खुले पैसे नहीं है वहीं कुछ को एक या ₹2 वापस किया जाते हैं। वह भी मरीज या तीमारदार लड़ भीड़ के अपने खुले पैसे मांग लेता है। वही बड़ा नोट देने पर भी₹30 काटे जाते हैं।  यह जिला अस्पताल में  ऑनलाइन भुगतान करने के लिए सिस्टम चलने की बात प्रबंधन करता है। लेकिन इसके लिए अभी कोई सुविधा दिखाई नहीं पड़ रही है। इस विषय को लेकर हमारे संवाददाता ने गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय के नोडल अधिकारी  से वार्ता कर पूर्ण जानकारी हासिल करेंगे।

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