उत्तराखंड

देशवासी सदैव शहीद उधम सिंह के ऋणी रहेंगे

उत्तराखण्ड : 31 जुलाई 2004 ,देहरादून। नेताजी संघर्ष समिति के कार्यालय कांवली रोड पर महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह कंबोज की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद किया गया। इस मौके पर समिति के प्रभात डंडरियाल ने कहा कि उधम सिंह ने जलियांवाला बाग का बदला लेते हुए जनरल डायर को मार गिराया था, हम देशवासी सदैव उनके ऋणी रहेंगे। उन्होंने अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज को दबने नहीं दिया, हमें उनके आदर्शों पर चल अन्याय के विरोध में अपनी आवाज को बुलंद रखना है.
नेताजी संघर्ष समिति के आरिफ़ वारसी ने कहा की उधम सिंह भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के महान सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के समय पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ ड्वायर को लन्दन में जाकर गोली मारी थी। कई इतिहासकारों का मानना है कि यह हत्याकाण्ड ओ’ ड्वायर व अन्य ब्रिटिश अधिकारियों का एक सुनियोजित षड्यंत्र था, जो पंजाब प्रांत पर नियन्त्रण बनाने के लिये किया गया था। उत्तर भारतीय राज्य उत्तराखण्ड के एक जनपद का नाम भी इनके नाम पर उधम सिंह नगर रखा गया है। उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब प्रांत के संगरूर जिले के सुनाम गाँव में एक कम्बोज सिख परिवार में हुआ था। सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया। इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी। अनाथालय में उधमसिंह की जिंदगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया। वह पूरी तरह अनाथ हो गए। 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए। उधमसिंह अनाथ हो गए थे परंतु इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और देश की आजादी तथा जनरल डायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे।
शहीद उधम सिंह को याद करने वालों में प्रभात डंडरियाल, आरिफ़ वारसी, प्रदीप कुकरेती,पारस यादव, अतुल शर्मा, रणजीत सिंह जोशी, अजीत वर्मा ,सुशील विरवानी, चिंतन सकलानी,दानिश नूर आदि उपस्थित रहे

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