उत्तराखंड: 2 जुलाई 2024, प्राप्त जानकारी के अनुसार नई दिल्ली के नए संसद भवन में पहली बार नेता प्रतिपक्ष के रूप में अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी के भीतर का वह सब बाहर आ गया है जो दस साल से दबा छिपा था । चुनाव परिणामों से संजीवनी प्राप्त राहुल ने भले ही समूचा विष एक साथ उगल डाला हो लेकिन उन्होंने भाजपा के तमाम दिग्गज नेताओं को बार बार प्रतिवाद करने पर मजबूर कर दिया । इतना अधिक उद्वेलित किया कि न केवल राजनाथ सिंह , न केवल अमित शाह अपितु पीएम नरेंद्र मोदी जैसे शीर्ष नेताओं को बीच बीच में खड़े होकर जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा । एक तरह से यह राहुल के झूठ की जीत और बीजेपी टॉप लीडरशिप की पराजय है ।
इस दौरान राहुल गांधी हिन्दुत्व , बीजेपी और आरएसएस को सीधे सपाट ढंग से कोसते हुए सदन में पहली बार बेलगाम नेता के बतौर सामने आए । उनका यह बदला हुआ रूप आने वाले दिनों में एक नई राजनीति की ओर इशारा कर रहा है । जाहिर है नई संसद बेहद हंगामी चलेगी , सरकार के लिए कामकाज करना उतना सरल नहीं होगा । विपक्ष की ओर से महुआ मोइत्रा और ए राजा ने भी सत्तारूढ़ पार्टी पर बहुत कड़े शब्द बाणों की बौछार की ।
निश्चित रूप से सांसद में कल का दिन राहुल गांधी का था , इंडिया ब्लॉक का था । लेकिन दस साल पहले सत्ता छिन जाने से राहुल गांधी के भीतर हिन्दुओं और हिन्दुत्व के प्रति जितनी भी घृणा भरी थी , वह एक साथ बाहर आ गई ।
चुनाव के बाद विपक्ष का अब सीधा सा फॉर्मूला है । सत्ता न मिले तो अराजक हो जाओ । जिन्हें सत्ता मिले उन्हें किसी भी तरह उखाड़ने में लगे रहो । बात न बने तो सदन के भीतर सही गलत जो मन आए बोलो और सदन से बाहर निकलते ही शोर मचाओ , मीडिया बुलाओ , पीसी करो और प्रदर्शन करो । जिस जनता ने सरकार बनाई उसे कोसो , बंगाल की तरह निर्दोषों पर बीच चौराहे लट्ठ बरसाओ , आतंक फैलाओ ।
सीधी बात यह कि बहुत हुआ , वोट से सत्ता में नहीं आए तो अराजक हो जाएंगे । पहले संविधान संविधान का झूठ फैलाया अब संसद में कोहराम मचाएंगे । देखते रहिए , राजनीति में पराजय से उपजी अराजकता का नया दौर झेलने के लिए तैयार हो जाइए ।
बात साफ है । राहुल गांधी , अखिलेश , ममता , तेजस्वी और केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता चाहिए । बहुत हुआ , दस साल हम आएंगे , हम आ रहे हैं , हम आ गए करते करते निकल गए । अकेले अकेले नहीं आ सकते थे तो इतने सारे दल जोड़े , सीट तालमेल किया । अफसोस कि फिर भी चंद कदम दूर लबे जाम रह गया । तो क्या अब पांच साल यूं ही हाथ मलें ? नहीं अब नहीं । खुद भी आए , माताजी भी आईं और जल्दी ही बहनजी भी संसद में आ जाएंगी । तो जीने नहीं देंगे मोदी जी । बाहर भी छकाएंगे और भीतर भी । देश चले ना चले , सरकार चले ना चले , हम चलेंगे । अब अव्यवस्था फैले या अराजकता तुम संभालो , हम तो खेल बिगाड़ेंगे ।
साथ ही यह सबसे बड़ा दर्द और टीस बेशक राहुल के दिल में है लेकिन सबसे बड़ी खुशी अखिलेश के दिल में है । इसलिए नहीं की बीबी सहित जीत गए । इसलिए भी नहीं कि सैफई दरबार के पांच लोग सांसद बन गए । इसलिए भी नहीं कि यूपी में योगी को पटकी दे दी , मोदी से ज्यादा सीटें हासिल कर ली ।
बल्कि इसलिए कि जिस संसदीय सीट फैजाबाद में अयोध्या विधानसभा पड़ती है , वह सीट जीत ली । अब प्रचारित यह कर दिया कि उन्होंने मंदिर बनाया , हमने वही अयोध्या जीत ली । संयोग यह कि जो जीते उनका नाम अवधेश प्रसाद । बस फिर क्या था , कह रहे कि साक्षात “अवधेश ” हमारे साथ आ गए । उन्हें अपने साथ अगली सीट पर बैठा रहे हैं ।
हद तो तब हो गई जब राहुल गांधी ने पास बैठे अवधेश प्रसाद से अपने संबोधन के बीच याराना दिखाना शुरू कर दिया । उधर कांग्रेस और बाकी गठबंधन से पूछे बिना ममता ने ऐलान कर दिया कि लोकसभा में उपाध्यक्ष पद पर अवधेश प्रसाद गठबंधन के प्रत्याशी होंगे । अब अखिलेश बाग बाग हो गए।
राहुल गांधी ने भी अवधेश प्रसाद को हिन्दुत्व पर विजेता के रूप में प्रस्तुत कर भावी राजनीति का परिचय दे दिया। अट्ठारहवीं लोकसभा में बदले की भावना का स्पष्ट दर्शन गठबंधन ने करा दिया।