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सूबे के सबसे बड़े अस्पताल में नया वेरिएंट की यह है मिसाल …!

देहरादून/उत्तराखण्ड: 26 Dec.–2023: खबर…. राजधानी से मंगलवार को देहरादून  स्थित राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की कई खामियां एवं लोगों की परेशानियां किसी से छुपी नहीं है! वहीं इसी का एक जीता जागता नजारा दून अस्पताल की आपातकालीन कक्ष में हमारे रिपोर्टर ने देखा तो हैरान रह गए। वही इस दून अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं भी बदहाल नजर आ रही हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की कमी होने से तीमारदारों को ही अपने-अपने मरीजों की हर छोटी-बड़ी जरूरतों का खुद ही ख्याल रखना पड़ रहा है।( जैसे यूरन बोटल, पोट, स्टूल, गुलूकोज स्टैण्ड आदि)  अस्पताल में पर्याप्त संख्या बल में स्वास्थ्यकर्मी और कर्मचारी नहीं हैं! वही इस होर्ट टेक बनी न्यू ओटी बिल्डिंग की इमरजेंसी का आंखो देखा हाल बताएं जो हमें कैमरे भी कैद की हैं।

सूत्रो के मुताबिक  इस न्यूओटी बिल्डिंग की इमरजेंसी में गंदगी इतनी है आप फोटो में सफा देख सकते है। जबकि ऐसा लगता है कि दून अस्पताल अभी तक कोरोना संक्रमण से सबक नही लिया। और वर्तमान  कोरोना का नया वेरिएंट सर पर मंडरा रहा है। यहां मरीजो के खून व अन्य गंदगी स्टेचरो पर सूख गई हैं। लेकिन इससे साफ करने वार्ड ब्वॉय नही है। साथ ही प्राथमिक उपचार के दौरान ओटी टेवल पर महीनो बिछी रबर मोमजामा की चादर खून व दवाईयों एवं अन्य गंदगी से सनी रहती है। इसे जबकि ऐसे खून से गंदा व अन्य मरीजो से गंदा होने पर तुरंत बदला जाता है। इस इमरजेंसी में ऐसा नही होता। महिनो गंदा रबर के इस मोमजामा की चादर देखेन को मिलेगी ! इसी पर रोज आना मरीजो को लेटा कर इलाज करते है।  वही लोगो का कहना है कि इस दून मेडिकल कालेज में तैनात एमएस व अन्य स्वास्थ्य अधिकारी सभी महज दिखावें के  आदेश व निर्देश देते रहते हैं। यहां कोई किसी की नही सुनता व देखता हैं। सीसीटीवी कैमरे भी मरीजो व तीमारदारो के लिए छलावा है।

मिली ताजा जानकारी के अनुसार देहरादून के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल की ताजा हालात की बात करें तो इस दून अस्पताल में विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लेने हाल ही पीछले दिनो पहुंचे दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आशुतोष ने अचौक निरीक्षण किया जिसमें उन्हेनें अस्पताल की हालत देख कर्मचारियों पर बिफरे वही उन्होंने विभिन्न वार्डों का भी जायजा लिया । देखते ही उन्होने कहा कि गैर जरूरी सामान जगह जगह पड़ा था। और कई जगह पर डस्टबिन गिरी पड़ी थी। तो कई जगह पर गंदगी साफ  दिखाई दे रही थी। इस दौरान प्राचार्या डॉ0 सयाना ने मौके पर ही स्टाफ नर्स एवं दूसरे कर्मचारियों को लताड़ भी लगाई! साथ साफ सफाई की व्यवस्था को लेकर उन्होंने नाराजगी जताई। वही इस दौरान सफाई सुपरवाइजर को सफाई व्यवस्था ठीक ढंग से करने के सख्त निर्देश दिए।

वही इस मौके पर प्राचार्य ने डीएमएस डॉक्टर धनंजय डोभाल को दून अस्पताल की व्यवस्थओ को ठीक करने हेतु निर्देश दिए। वही जिसमें पीजी हॉस्टल के 48 कमरे जल्द तैयार करने के लिए निर्देश भी दिएं! साथ ही आयुष्मान विंग के प्राईवेट वार्ड में गैर जरूरी सामान भरा था जिससे स्टोर भेजने को के निर्देश दिए गए।

 वही इस दौरान टॉयलेट भी गंदे मिले। यहां शौचालय के बहार महिला एवं पुरुष भी नहीं लिखा हुआ था। वही मरीजो की मदद के लिए शौचालय के बाहर कोई सफाई कर्मी नहीं था। साथ ही कई ऐसे मरीज जो कि शौचालय की गंदगी देख बिना किए चले गए। तो कुछ जगह पर अंधेरा था। साथ हीं गाइनी विंग में महिलाओं की सही तरीके से देखभाल को कहा गया यहां वार्ड आया नहीं होने की शिकायत भी मिली ।

साथ ही कई तीमारदार अपने मरीज को खुद हाथो में ढोते दिखाई दिए। जबकि इस दून अस्पताल में न्यूओटी बिल्डिंग में 6 वार्ड ब्यॉय तैनात है। लेकिन एक भी मौके पर नही दिखाई देते है। साथ ही कई मरीज ने कहा कि डॉक्टर बच्चों को समय.समय पर देखने भी नहीं आते और स्टाफ नर्सो को बार.बार मरीज की ड्रिप के संबंध में या अन्य कार्यो के वजह से बुलाना पड़ता है, तो वह वार्ड में मौजूद नर्सिग अधिकारी व वार्ड ब्यॉय भी बड़े मुश्किल से मुंह बनाकर आती है। साथ मरीजो के साथ कुछ स्वास्थ्य कर्मीयों का स्वाभाव ठीक ढंग से पेश नही आते। एक तीमारदार व मरीज का कहना है कि “यहाँ शौचालय गंदे हैं। मेरा वहां जाने का भी मन नहीं है।  यहां तक ​​कि वार्ड भी बहुत साफ़ नहीं हैं!,”

इस दून अस्पताल में स्टाफ की इतनी कमी है कि वार्ड आया और वार्ड ब्यॉय के काम मरीजों के परिजनों को खुद ही करने होते हैं। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के स्ट्रेचर परिजनों को खुद ही खींचने पड़ते हैं।   सूत्रो ने बताया कि दून अस्पताल में आने वाले एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, यहां सफाई कर्मचारी व वार्ड ब्वॉय मरीजों से पैसे की मांग करते हैं। वे कहते हैं, अगर हम उन्हें 200.300 रुपये दे दें तो वे हमें मरीज के लिए सभी अच्छी सुविधाएं दिला देगें।

और यह मरीज को कोई परेशानी नही होगी। बता देकि स्थानीय लोगो का कहा कि वर्ष 2016 में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज से जुड़ने के बाद अस्पताल की स्थिति खराब हो गई। इससे पहले, देहरादून का दून अस्पताल एक जिला अस्पताल था। कम से कम मरीज इतना परेशान तो नही होता था। जितना अब दून मेडिकल बनने से हो रहा है। यह सबसे पहले, दून अस्पताल पूरे राज्य में जाना जाता है और गढ़वाल क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है, इसलिए अधिकांश लोग इलाज के लिए यहां आते हैं। वही जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि नए वेरिएंट को नियंत्रित करने के लिए हरसंभव प्रयास करें। वही जिसमें  देश में कोरोना-19 के नये वेरिएंट जेएन-1 को लेकर प्रदेश सरकार अलर्ट मोड़ पर है।

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