
देहरादून/उत्तराखण्ड: 23 Nov.–2023: खबर…. राजधानी/देहरादून स्थित नन्ही दुनिया समुदाय द्वारा बच्चों एवं उनके हितेषियो के अंतरराष्ट्रीय आंदोलन ने अपना 77 वा स्थापना दिवस हर्षो उलास के साथ मानाया।
नन्हीं दुनिया समुदाय पिछले 77 वर्षों से बाल युवाओं महिलाओं की सेवा में समर्पित है इसकी स्थापना आजादी से पूर्व 1946 में प्रोफेसर लेखराज उल्फत 1920- 1991 में की थी। सौभाग्य की बात है कि 1953 में श्रीमती साधना उल्फत 1925 -2001 उनके साथ जुड़ गई वा बाल सेवा के इस आंदोलन को निरंतर निष्ठा के साथ आगे बढ़ाने में सफल होते चले गए ।आज यह आंदोलन अनेकों शाखाओं वाला घना वृक्ष बन गया है।
वही, बच्चों ने मां का अभिनंदन गायत्री मंत्रों के उच्चारण से किया। इस अवसर पर बच्चो के हितैषी सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय के निर्देशक एस.पी सिंह, वेद प्रकाश जैन , विजय कुमार गोयल ने दीप प्रजवलित कर कार्यक्रम का शुभ आरंभ किया।
इस मौके पर अध्यापिकाओं ने जिसमे कविता, अलका, विशाली हिना,साक्षी, भाविका ने अपने अनुभव साझा किए।लोक नृत्य,गीत वा रंगा रंग कार्यक्रमों से समा बांध दिया।
वही इस दौरान एसपी सिंह जी ने अपने संबोधन में कहा नन्हीं दुनिया छोटी नहीं अपितु बहुत विशाल जो बच्चों को उत्तम संस्कार दे रही है जो आने वाली भावी पीढ़ी का मार्ग दर्शन करेगी। आप सभी बधाई के पात्र हैं।
इस मौके पर मुख्य प्रवर्तक श्रीमति किरन गोयल ने समस्त प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया । शाम को दीपमाला की गई। जिसमे कई दशकों से चलती आ रही गतिविधि जिसमे बच्चो ने मोम बतियो को जलाते हुए एक spiral बनाया। जो पूरे वातावरण को आलोकित कर रहा था।
इस मौके पर स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर इस्तेमाल की हुई खाली माचिस की डिब्बी में छोटे से छोटा सिक्का डालकर डालकर सभी ने मुख्या इस गतिविधि का एक विशेष भाव है, कि जिस प्रकार एक रुपए मैं से एक से एक पैसा निकाल दिया जाए तो वह पूर्ण रुपया नहीं हो सकता। इसी प्रकार यदि समाज का एक भी बच्चा दुखी है तो पूर्ण समाज सुखी नहीं हो सकता साथ ही यह भाव हर व्यक्ति को हरिश्चंद्र बनाने की दिशा दिखाता हैl यह हमे याद रखना है कि हमें बच्चों का सम्मान करना सीखना चाहिए और स्वीकार करना चाहिए कि हमारे जीवन में उनका एक अद्वितीय स्थान है।