एकादशी व्रत को क्यों माना जाता है श्रेष्ठ, जानिए महत्व और लाभ
उत्तराखण्ड : 18 दिसम्बर 2024 ,देहरादून। एकादशी का व्रत देवी एकादशी को समर्पित होता है। देवी एकादशी भगवान श्रीहरि विष्णु से उत्पन्न हुई हैं। एकादशी तिथि को भी एकादशी देवी का प्राकट्य हुआ है, उस तिथि को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसलिए जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने इनका नाम एकादशी रखा और इनको वरदान दिया कि एकादशी तिथि को व्रत करेगा और श्रीहरि की पूजा करेगा। वह जातक पाप से मुक्त होकर उत्तम लोक को प्राप्त होगा। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको एकादशी व्रत के महत्व और लाभ के बारे में बताने जा रहे हैं।
एकादशी व्रत का महत्व और लाभ
पद्म पुराण में एकादशी व्रत का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। पद्म पुराण में बताया गया है कि पांडु पुत्र भीम ने जीवन में कभी कोई व्रत नहीं किया था। लेकिन वह अपनी मुक्ति को लेकर चिंतित थे। ऐसे में उन्होंने महर्षि वेद व्यासजी से पूछा कि वह कौन सा व्रत करें कि उनको मुक्ति मिल जाए। क्योंकि वह सभी व्रत कर पाने में असमर्थ हैं। तब महर्षि वेद व्यास ने भीम को एकादशी व्रत करने के लिए कहा था और इस व्रत की महिमा बताई थी। महर्षि ने ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी का व्रत करने के लिए कहा था।
बता दें कि साल में 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं और सभी एकादशी व्रत करने का विधान है। लेकिन जो लोग 24 एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं, वह कुछ महत्वपूर्ण एकादशी का व्रत कर सकते हैं। आप देवशयनी एकादशी, देव प्रबोधिनी एकादशी, पापमोचनी एकादशी और निर्जला एकादशी व्रत कर सकते हैं। जो लोग एकादशी का व्रत करने में असमर्थ हैं, वह एकादशी के दिन चावल नहीं खाते हैं। क्योंकि एकादशी व्रत में चावल और चावल से बनी चीजों को खाने की मनाही होती है।
एकादशी व्रत के नियम
धार्मिक शास्त्र के मुताबिक जो भी जातक सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से एकादशी का व्रत करते हैं। वह उत्तम लोक को जाते हैं। वहीं एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव से मृत्यु के बाद मुक्ति पाते हैं। एकादशी के व्रत का दशमी तिथि से नियम और संयम से पालन करना चाहिए। वहीं फिर द्वादशी के दिन व्रत का पारण करना होता है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। एकादशी व्रत में रात को जागरण आदि कर भगवान का ध्यान और भजन करना चाहिए।
एकादशी तिथियां 2025
पौष पौत्रदा एकादशी – 10 जनवरी 2025
षटतिला एकादशी – 25 फरवरी 2025
जया एकादशी – 08 फरवरी 2025
विजया एकादशी – 24 फरवरी 2025
आमलकी एकादशी – 10 मार्च 2025
पापमोचिनी एकादशी – 25 मार्च 2025
कामदा एकादशी – 08 अप्रैल 2025
बरूथिनी एकादशी – 24 अप्रैल 2025
मोहिनी एकादशी – 08 मई 2025
अपरा एकादशी – 23 मई 2025
निर्जला एकादशी – 06 जून 2025
योगिनी एकादशी – 21 जून 2025
देवशयनी एकादशी – 06 जुलाई 2025
कामिका एकादशी – 21 जुलाई 2025
सावन पुत्रदा एकादशी – 05 अगस्त 2025
अजा एकादशी (कृष्ण पक्ष)- 19 अगस्त 2025
परिवर्तिनी एकादशी – 14 सितंबर 2025
इंदिरा एकादशी – 28 सितंबर 2025
पापांकुशा एकादशी – 03 अक्टूबर 2025
रमा एकादशी – 17 अक्टूबर 2025
देवउठनी एकादशी – 02 नवंबर 2025
उत्पन्ना एकादशी – 15 नवंबर 2025
मोक्षदा एकादशी – 01 दिसंबर 2025
सफला एकादशी – 15 दिसंबर 2025
पौष पूर्णिमा एकादशी – 30 दिसम्बर 2025