उत्तराखण्डः 03 सितंबर 2024, मंगलवार को देहरादून में ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र पहुंचे। वही उन्होंने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी और जया किशोरी जी के पावन सान्निध्य में दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया। इस मौके पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और कलराज मिश्र जी ने विभिन्न समसामयिक विषयों पर गहन चर्चा की। साध्वी जी ने भी अपने प्रेरणादायक विचार साझा किए। कलराज मिश्र जी और पूज्य स्वामी जी के बीच हुई चर्चा में पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, स्वच्छता अभियान, और युवाओं के सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल थे। दोनों दिव्य विभूतियों ने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इस दौरान मिश्र ने कहा, “परमार्थ निकेतन द्वारा किये जा रहे कार्य समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसे और भी व्यापक स्तर पर ले जाने की आवश्यकता है।” गंगा जी की आरती के अनुभवों को साझा करते हुये कहा कि यह पल अत्यंत भावुक करने वाले और प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा, “गंगा आरती में सहभाग करना एक दिव्य अनुभव है। यह आत्मा को शांति और सुकून प्रदान करता है।” इस आरती के माध्यम से हम आत्मसात करते हैं कि मां गंगा भारतीय संस्कृति की आत्मा है; यह आरती भारतीय संस्कृति का जीवंत स्वरूप है; गंगा जी की आरती, पूजन, अर्चन अर्थात भारतीय संस्कृति का पूजन- अर्चन। स्वामी जी ने दुनिया के लगभग सभी देशों ने भारतीय संस्कृति को प्रसारित-प्रचारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उन्होने आश्रम के विभिन्न प्रकल्पों का अवलोकन किया और यहां के कार्यों की भूरि-भूरि सराहना की। उन्होंने कहा, “परमार्थ निकेतन का कार्य समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बेटियाँ हैं तो दुनिया है। बेटियाँ हमारे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके बिना दुनिया अधूरी है। वे न केवल परिवार को खुशियों देती हैं, बल्कि समाज और देश की प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। उनकी सुरक्षा अर्थात देश की सुरक्षा। स्वामी जी ने नदी व नारी की महत्ता बताते हुये कहा कि चुनरी महोत्सव के साथ नदियों के तटों पर पौधों को लगाकर हरियाली की चुनरी पहनायें। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोने का एक प्रयास है।
आइए, हम सब मिलकर इस पहल को सफल बनाएं और अपनी नदियों को हरियाली की चुनरी पहनाएं। चुनरी महोत्सव अर्थात नारियों का सम्मान। यह महोत्सव न केवल नारियों की शक्ति और उनकी भूमिका को उजागर करता है, बल्कि समाज में उनके महत्व को भी रेखांकित करता है। नदियाँ हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और उनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। पेड़ लगाने से न केवल नदियों के किनारे की मिट्टी का कटाव रोका जा सकता है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम करने में मदद करता है। परमार्थ निकेतन में प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी के श्रीमुख से हो रही अद्भुत, अवर्णनीय, अलौकिक कथा ‘नानी बाई को मायरो’ भारतीय परम्परा, परिवार, प्रभु प्रेम और दृढ़ विश्वास की अनुपम गाथा है।